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भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन
भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस समारोह में सांस्कृतिक धरोहर की हुई भव्य प्रस्तुति

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धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में 15 नवंबर 2024 को राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (NTRI) द्वारा भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित एनटीआरआई परिसर और कनॉट प्लेस में जनजातीय गौरव यात्रा का भव्य आयोजन हुआ। इस यात्रा में देशभर के जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विविधताओं की झलक प्रस्तुत की गई।
जनजातीय संस्कृति की रंगीन छटा
इस आयोजन में राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, असम, मणिपुर और नागालैंड के कलाकारों ने डुंगरई लाम, डोमकच, बांस नृत्य, संथाली नृत्य, गवरी, खड़िया नृत्य, भवई और मुंडा नृत्य जैसी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इन प्रस्तुतियों ने भारत की समृद्ध जनजातीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रूप में प्रदर्शित किया।
गौरवशाली इतिहास की याद
कार्यक्रम का उद्घाटन भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती आर. जया ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान और योगदान को नमन करते हुए जनजातीय गौरव दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस दिन को जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और उनके संघर्ष को याद करने का विशेष अवसर बताया।
श्रीमती जया ने जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण के लिए सरकार की योजनाओं जैसे पीएम-जनम, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, और राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन पर जोर दिया। इन योजनाओं का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सुधार लाना है।
“एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का संदेश
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक श्री एस.एन. त्रिपाठी ने “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की परिकल्पना को साझा करते हुए जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने समाज में समावेशिता और समानता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए चल रही योजनाओं की सराहना की।
जनजातीय भाषाओं का संरक्षण
इस अवसर पर एनटीआरआई की विशेष निदेशक प्रो. नूपुर तिवारी ने “आदि-व्याख्यान: प्रौद्योगिकी के माध्यम से जनजातीय भाषाओं का संरक्षण” पर एक रिपोर्ट का विमोचन किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन जनजातीय धरोहर को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस भव्य आयोजन का समापन औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह आयोजन न केवल भगवान बिरसा मुंडा के प्रति सम्मान का प्रतीक था, बल्कि जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को उजागर करने का अवसर भी बना।
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