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धर्मगुरु ममतामयी श्री राधे माँ ने गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सभी भक्तों और देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
आज यहाँ जारी एक शुभकामना सन्देश में ममतामयी श्री राधे माँ ने कहा कि गुरु पूर्णिमा गुरु-पूजन का पर्व है। सनातन संस्कृति में ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु-शिष्य की सुदीर्घ परम्परा है। बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त करना सम्भव नहीं है। गुरु के आशीर्वाद से सभी सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। शास्त्रों के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
ममतामयी श्री राधे माँ ने कहा कि हमारी संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया गया है। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान बताया गया है। गुरु शिष्य को रचता है, इसलिए वह ब्रह्मा है। गुरु, शिष्य की रक्षा करता है, इसलिए वह विष्णु है। गुरु शिष्य के सभी दोषों का संहार करता है, इसलिए वह साक्षात महेश्वर है। हमें गुरु-पूजन पूरी आस्था और श्रद्धाभाव से करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
ममतामयी श्री राधे माँ ने कहा कि जीवन में गुरु के महत्व से भावी पीढ़ी को परिचित कराने के लिए यह पर्व आदर्श है। गुरु-पूजन का यह पर्व हमें सत्मार्ग पर ले जाने वाले उन महापुरुषों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता अर्पित करने की प्रेरणा देता है, जिन्होंने अपने ज्ञान, त्याग और तपस्या से समाज, राष्ट्र और विश्व को नई राह दिखाई।
ममतामयी श्री राधे माँ ने कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत जनता से गुरु पूर्णिमा का पर्व कोविड नियमों का पूर्ण पालन करते हुए ही मनाये जाने की अपील की है।