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GEO India 2024: ऊर्जा अन्वेषण और तकनीकी प्रगति पर विशेष फोकस
जीईओ इंडिया 2024 में ऊर्जा अन्वेषण में तकनीकी प्रगति और भारत के पूर्वी तट की नई संभावनाओं पर चर्चा
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एपीजी इंडिया (Association of Petroleum Geologists India) एक प्रतिष्ठित गैर-लाभकारी संस्था है, जो भारत में भूविज्ञान और ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह संस्था पेट्रोलियम भूविज्ञान में ज्ञान और सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ उद्योग में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों (E&P) के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है। अपने उद्देश्य के तहत, एपीजी इंडिया हाइड्रोकार्बन अन्वेषण, ऊर्जा के नए स्रोतों का विकास, और कार्बन न्यूट्रैलिटी को लेकर सक्रिय रहती है। वर्तमान में यह संगठन भूगर्भीय अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में उभर रहा है।
एपीजी इंडिया की गतिविधियाँ और योगदान
एपीजी इंडिया की मुख्य गतिविधियों में भूवैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, और उद्योग विशेषज्ञों को साथ लाकर बातचीत और सहयोग को प्रोत्साहित करना शामिल है। संस्था विभिन्न कार्यशालाओं, सेमिनारों और सम्मेलनों का आयोजन करती है, जिनमें प्रमुख भूवैज्ञानिकों, उद्योग के प्रतिनिधियों और छात्रों को शामिल किया जाता है। इन कार्यक्रमों में उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों, नवीनतम तकनीकी प्रगति और कार्बन मुक्त ऊर्जा स्रोतों पर चर्चा की जाती है।
जीईओ इंडिया: एक प्रतिष्ठित सम्मेलन श्रृंखला
जीईओ इंडिया सम्मेलन श्रृंखला एपीजी इंडिया की प्रमुख गतिविधियों में से एक है। इस सम्मेलन का आयोजन हर दो वर्षों में किया जाता है, जिसमें वैश्विक और भारतीय विशेषज्ञ एकत्रित होते हैं। जीईओ इंडिया सम्मेलन उद्योग में नई संभावनाओं और अन्वेषण के आयामों का पता लगाने के साथ-साथ भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए रणनीतियों पर चर्चा करता है।
पिछले सम्मेलनों की मुख्य झलकियाँ:
1. पहला संस्करण: ऊर्जा अन्वेषण और हाइड्रोकार्बन की संभावनाओं को समझने पर केंद्रित।
2. दूसरा संस्करण: हाइड्रोकार्बन अन्वेषण के नए क्षेत्रों की खोज और तकनीकी विकास।
3. तीसरा संस्करण: डी-कार्बोनाइजेशन और सतत ऊर्जा स्रोतों के अन्वेषण पर फोकस।
4. चौथा और पाँचवा संस्करण: जलवायु संकट और ऊर्जा परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में टिकाऊ भूविज्ञान पर चर्चा।
जीईओ इंडिया के पिछले पांच संस्करणों ने ऊर्जा के क्षेत्र में नई सीमाओं की खोज, प्रौद्योगिकी में उन्नति और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उद्योग की भूमिका पर गहन विचार किया है। इस बार का छठा संस्करण टिकाऊ भूविज्ञान में दक्षिण एशिया की भूमिका और वैश्विक स्तर पर उद्योग की उन्नति पर केंद्रित होगा।
GEO India 2024: ऊर्जा गतिशीलता के नए आयाम
जीईओ इंडिया 2024 का मुख्य विषय ‘ऊर्जा गतिशीलता के नए आयामों की खोज’ है। इस सम्मेलन में हाइड्रोकार्बन और ऊर्जा के क्षेत्र में नवीनतम बदलावों और उन्नत तकनीकों को अपनाने पर गहन चर्चा होगी। निम्नलिखित मुद्दों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
–पूर्वी तट के गहरे पानी की क्षमता: भारत के पूर्वी तट के गहरे पानी वाले क्षेत्रों की क्षमता का आकलन करना, जो ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समुद्र तल के नीचे भूगर्भीय संरचनाओं के अन्वेषण से तेल और गैस संसाधनों का विकास करेगा।
-भूविज्ञान और ऊर्जा स्वतंत्रता: बदलते वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भूविज्ञान की भूमिका को समझना और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाना। इसमें भूगर्भीय संरचनाओं का मूल्यांकन और उनके ऊर्जा भंडारण के तौर पर उपयोग की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
-एआई और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल: आधुनिक भूविज्ञान में एआई और मशीन लर्निंग की भूमिका पर चर्चा, जो अन्वेषण और उत्पादन प्रक्रियाओं को आसान और कुशल बनाने में मदद करेगी। यह नई पीढ़ी के भूवैज्ञानिकों के लिए एक अहम विषय होगा, जिसमें वे आधुनिक तकनीकों को अपनाकर प्रभावी परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।
-प्रौद्योगिकी एकीकरण और प्रतिभा विकास: हाइड्रोकार्बन उद्योग में तकनीकी उन्नति और मानव संसाधन विकास की आवश्यकता को मान्यता दी गई है। प्रौद्योगिकी के इस एकीकरण से ईएंडपी क्षेत्र में सफलता की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा और उद्योग को एक ठोस आधार प्रदान करेगा।
-भारत के लिए इक्विटी तेल और गैस की प्रासंगिकता: वैश्विक स्तर पर ईएंडपी क्षेत्र में इक्विटी तेल और गैस का महत्व और भारत के लिए इसकी प्रासंगिकता पर विशेष रूप से चर्चा होगी।
-‘वह’ ऊर्जा: भूविज्ञान में महिलाओं की भूमिका: भूगर्भीय विज्ञान और ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को प्रोत्साहित करने पर चर्चा। यह पहल महिलाओं को प्रोत्साहित करने और ऊर्जा उद्योग में उनकी भागीदारी को बढ़ाने के लिए है।
एपीजी इंडिया का भविष्य
एपीजी इंडिया जैसे संगठन भूविज्ञान और ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे बदलावों का प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। अपनी वैश्विक पहुँच और उद्योग जगत के साथ सामंजस्य स्थापित कर, एपीजी इंडिया न केवल भूवैज्ञानिकों के लिए एक मंच प्रदान करता है, बल्कि भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और नई तकनीकों को अपनाने में सहायक भी है। जीईओ इंडिया 2024 इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो नई ऊर्जा संभावनाओं और टिकाऊ विकास के लिए व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
-ईशत कांत कपूर
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