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पहला बोडोलैंड महोत्सव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया भव्य उद्घाटन
बोडोलैंड महोत्सव न केवल बोडो समुदाय के लिए गर्व का अवसर है, बल्कि यह पूरे भारत को एकता और विविधता का संदेश देता है

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इंदिरा गांधी स्टेडियम में कल शाम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। इस दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन बोडो समुदाय की सांस्कृतिक, भाषाई और साहित्यिक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने के उद्देश्य से किया गया है। महोत्सव का मुख्य विषय “समृद्ध भारत के लिए शांति और सद्भाव” रखा गया है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता में एकता की भावना को सशक्त करता है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर साहित्य अकादमी द्वारा लगाए गए पुस्तक मेले का दौरा भी किया, जहां उन्होंने बोडो साहित्य की समृद्ध परंपरा को करीब से जाना। इस महोत्सव में देशभर से 5000 से भी अधिक बोडो प्रतिनिधि शामिल हुए हैं, जो इसे और अधिक भव्य और अर्थपूर्ण बनाते हैं।
बोडोलैंड महोत्सव की मुख्य विशेषताएं
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
महोत्सव में बोडो समुदाय की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विशेष प्रस्तुतियों का आयोजन किया गया है। इसमें बोडो पारंपरिक संगीत, नृत्य, और उनकी ऐतिहासिक विरासत को उजागर करने वाले प्रदर्शनी शामिल हैं। ये सभी प्रस्तुतियां बोडो समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करती हैं।
साहित्यिक और शैक्षिक संगोष्ठियां:
बोडो भाषा और साहित्य के संरक्षण और विकास पर चर्चा के लिए संगोष्ठियों का आयोजन किया गया है। इसमें लेखकों, साहित्यकारों और विद्वानों ने हिस्सा लिया। उन्होंने बोडो साहित्य की प्राचीन परंपरा और वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए।
बुक स्टॉल और कला प्रदर्शनी:
साहित्य अकादमी ने अपने स्टॉल में बोडो भाषा में प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों को प्रदर्शित किया। साथ ही बोडो समुदाय के लोक कलाकारों द्वारा बनाई गई कला और शिल्प का प्रदर्शन भी किया गया। यह प्रदर्शनी बोडो संस्कृति के विविध पक्षों को उजागर करती है।
साहित्य अकादमी और बोडो भाषा
भारत सरकार द्वारा आठवीं अनुसूची में बोडो भाषा को शामिल किए जाने के बाद से, साहित्य अकादमी इस भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
पुरस्कार और सम्मान:
-बोडो लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए साहित्य अकादमी द्वारा कई पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं:
– साहित्य अकादमी पुरस्कार।
– अनुवाद पुरस्कार।
– 2010 से बाल साहित्य पुरस्कार।
– 2011 से युवा पुरस्कार।
प्रकाशन:
साहित्य अकादमी ने बोडो भाषा में कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है। इन प्रकाशनों के माध्यम से बोडो साहित्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
कार्यक्रमों में भागीदारी:
अकादमी के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्यक्रमों में बोडो लेखकों और विद्वानों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। इसके माध्यम से बोडो भाषा और साहित्य को एक व्यापक मंच मिलता है।
बोडो समुदाय की सांस्कृतिक विरासत
बोडो समुदाय भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। उनकी भाषा, संगीत, नृत्य और शिल्प उनकी अनूठी पहचान को दर्शाते हैं। बोडोलैंड महोत्सव के माध्यम से उनकी परंपराओं को न केवल सहेजा जा रहा है, बल्कि नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी प्रयास हो रहा है।
इस महोत्सव का आयोजन शांति और सौहार्द के संदेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ बोडो संस्कृति और साहित्य को मुख्यधारा में लाने का प्रयास है। यह महोत्सव भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का प्रतीक है, जो संपूर्ण देश के लिए प्रेरणादायक है।
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