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‘छावा’ की दमदार दहाड़ से गूंज उठे हैं देश-भर के सिनेमाघर 

‘छावा’ में विक्की कौशल का दमदार अवतार, संभाजी महाराज की कहानी जीवंत

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-दामिनी यादव
जिस 14 फरवरी की तारीख़ को 32 साल के जाने कितने ही नौजवान अक्सर एक हाथ में फूल और दूसरे हाथ में अपना दिल थामे नज़र आते हैं, उसी तारीख़ को प्रोड्यूसर दिनेश विज़न अपने अगले शाहकार ‘छावा’ के ज़रिये उस रीयल लाइफ हीरो संभाजी महाराज की कहानी लेकर आए हैं, जो महज़ बत्तीस साल की उम्र जीकर ही न सिर्फ़ पूरे महाराष्ट्र, बल्कि समूचे देश-भर के लिए सचमुच का छावा, यानी शेर का बच्चा बन गया था। साथ ही जिसने अपने से जुड़े इस विश्वास को मज़बूत करने का काम किया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत सचमुच सही उत्तराधिकारी के हाथों में है।
हम बात कर रहे हैं आज 14 फरवरी को सिनेमाघरों में दस्तक दे रही फिल्म ‘छावा’ के बारे में, जिसमें छावा के रोल में दर्शक देखेंगे एक्टर विकी कौशल को, जो कि मौजूदा अभिनेता-जमात के उन कुछेक अभिनेताओं में से एक हैं, जिनका ‘एक्टर’ उनके ‘स्टारडम’ तक पर भारी पड़ जाता है और रोल चाहे ‘बेड न्यूज़’ हो या ‘सेम बहादुर’, मजाल क्या जो वे ख़ुद को कभी भी दोहराते नज़र आएं। बस यही फ़र्क होता है, महज़ स्टार होने में और एक्टर होने में।
विकी आज जितने बड़े स्टार हैं, उससे कहीं बढ़कर एक्टर हैं। उनके करिश्माई जादू की गवाह तो अभी हाल ही में दिल्ली भी बनी थी, जब फिल्म ‘छावा’ के प्रमोशन के दौरान राजधानी के पीवीआर प्लाज़ा के बाहर उनके फैंस की भीड़ को संभालना सचमुच एक चुनौती बन गया था। अब इसे प्रमोशन का जादू कहा जाए या विकी कौशल का कौशल कि वाक़ई ये छावा (शेर का बच्चा) फिर से एक बार फिल्म की जान बन गया है।
दिल्ली फिल्म प्रमोशन के दौरान विकी कौशल के साथ ही रश्मिका मंदाना भी थीं, जो कि फ़िलहाल नेशनल-क्रश बनने के चलते रश्मिका नहीं, ‘क्रशमिका’ बनी हुई हैं। ग़ौरतलब है कि फिल्म के प्रमोशन के दौरान यही बैनर उन्हें लगातार दिखाए जा रही थे और रश्मिका भी अपनी किलर स्माइल से अपने फैंस के क्रश को सरमाथे रख रही थीं। छावा फिल्म में रश्मिका मंदाना संभाजी महाराज की पत्नी येसुबाई की भूमिका में नज़र आ रही हैं।
इस दौरान दिनेश विजन रश्मिका मंदाना की तारीफ़ों के पुल बांधते नज़र आए कि किस तरह से पूरी फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें रश्मि एक टैलेंटेड एक्ट्रेस के रूप में ही नज़र नहीं आईं, बल्कि उनकी पर्सनैलिटी में जो पॉज़िटिविटी हमेशा, हर सिचुएशन में बनी रहती है, वे उससे प्रभावित हुए बिना भी नहीं रह पाए।
वैसे भी साउथ के ज़्यादातर एक्टर्स जितना अपने प्रोफेशनलिज़्म के लिए जाने जाते हैं, उतने ही अपनी पर्सनैलिटी के सकारात्मक पहलुओं के लिए भी। रश्मिका मंदाना भी इसी चेन की एक कड़ी साबित हो रही हैं। बाक़ी छावा फिल्म में संभाजी महाराज की पत्नी येसुबाई के रूप में दर्शक रश्मिका से क्या अपेक्षा रख रहे हैं और वे उस पर कितनी खरी उतर रही हैं, ये फ़ैसला हम दर्शकों पर छोड़ते हैं।
छावा के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर के बारे में दिनेश विजन का कहना था कि मैंने लक्ष्मण उतेकर के साथ चार फिल्मों में काम किया है और मुझे उन पर गर्व है। उन्होंने ‘छावा’ में अपना जो योगदान दिया है, वैसा शायद ही किसी और फिल्म में दिया होगा। मुझे याद है कि जब लक्ष्मण मुझे इस फिल्म की कहानी सुना रहे थे, तब मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह सिर्फ़ एक कहानी भी हो सकती है। मैंने उनकी कहानी को हकीकत से बढ़कर महसूस किया था मैंने, क्योंकि ये एक सच्चे शूरवीर की कहानी है। भले ही छत्रपति शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी संभाजी महाराज के बारे में पहले कम लोग ही जानते होंगे, लेकिन इस फिल्म के बाद संभाजी महाराज का किरदार बच्चे-बच्चे के दिल में अपनी जगह बना लेगा, यही हमारी कोशिश भी रही है और यक़ीन भी।
कुछ ऐसा ही विश्वास छावा के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर की ज़बान पर भी था कि वेस्टन कंट्रीज़ को तो अपने सुपर हीरोज़ गढ़ने पड़ते हैं, लेकिन भारत की धरती तो ऐसे न जाने कितने ही सुपर हीरोज़ से भरी पड़ी है। ज़रूरत है, उनकी गाथाएं समय-समय पर दोहराते रहने की। हमें अपने सुपर हीरो गढ़ने की नहीं, सिर्फ़ उन्हें हमेशा याद रखने की ज़रूरत है। हमारी ये फिल्म इसी कोशिश का नतीजा है।
मैडॉक फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म ‘छावा’ थियेटर में पहुंच ही चुकी है। विक्की कौशल के साथ दूसरे दमदार रोल में अक्षय खन्ना और आशुतोष राना जैसे पावरहाउस एक्टर्स भी मौजूद हैं। बाक़ी फिल्म के बारे में बहुत ज़्यादा बताकर हम दर्शकों का मज़ा ख़राब नहीं करना चाहते। अपने देश के अमर नायकों में से एक संभाजी के बारे में जानने के लिए दर्शकों को अपने नज़दीकी सिनेमाघरों का रुख़ करना चाहिए और जानना चाहिए कि महज़ 32 साल जीकर भी कुछ लोग कैसे अमर हो जाते हैं और संभाजी महाराज के व्यक्तित्व का वो कौन सा जादुई पहलू था कि दुश्मन भी उनकी तारीफ़ में ख़ुद को ये कहने से नहीं रोक पाते थे कि अगर उनके पास भी संभाजी जैसा बहादुर एक भी बेटा होता तो वे पूरा देश क्या, पूरी दुनिया जीत लेते।
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