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हीराबेन का सौ वर्षों का सफर वाकई भारतीय आदर्शों का प्रतीक है
मां न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उसके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है।
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देश के प्रधानमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी ना केवल देश के प्रति निष्ठावान हैं बल्कि देश और राष्ट्र के लिए जो प्रेम उनके दिल में हैं वही प्रेम उनका उनकी मां के प्रति भी साफ साफ दिखाई देता है. और हो भी क्यों न हीराबेन ने जिस रत्न को गढ़ा है वो कोई साधारण व्यक्ति नहीं है इस देश के गौरव हैं। एक मां जिसने तमाम कठिन परिस्थितियों में अपने बच्चों को पाल पोस कर बढ़ा किया। मां के दिए संस्कार और रास्ते से आज देश को प्रधानमंत्री तरक्की की राह पर ले जा रहा है।
मां न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उसके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मांके 100वें जन्मदिन 18 जून 2022 को सुंदर और गहरी पंक्तियां लिखी थी। ‘मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है’।
हीराबेन का सौ वर्षों का सफर वाकई भारतीय आदर्शों का प्रतीक है सादगी की मूर्ति और हमेशा शांत मुद्रा में हीराबेन इस देश में किसी प्रतीक से कम नहीं थी. और सभी जानते हैं की देश के प्रधानमंत्री अपनी मां को लेकर किस हद तक भावुक हैं। मां के प्रति सम्मान, स्नेह, प्यार, दुलार और अपार श्रद्धा का भाव प्रधानमंत्री के मन में उनके लिए हमेशा रहा।
अब हीराबेन इस दुनिया में नहीं हैं। गुजरात के अहमदाबाद में उनका निधन हो गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा पंचतत्व में विलीन हो गईं। पीएम मोदी ने अपने भाई के साथ मिलकर उन्हें मुखाग्नि दी। लेकिन उनके किस्से अब भी हैं। कुछ प्रधानमंत्री के सुनाए-बताए और कुछ दूसरों की जुबानी कुछ किस्से जो उनके साथ ही चले गए कुछ किस्से रह गए। ऐसे किस्से जो बताते हैं की नरेंद्र मोदी के इस सफर में उनकी कितनी भूमिका थी और एक बेटे को गढ़ने में उन्होंने क्या क्या कुर्बानी दी। धीरे धीरे वक्त बदलता गया और हालत बदलते गए। एक छोटी सी जिंदगी का इतना विराट सफर हीराबेन को मिला वो सचमुच किस्मत वालों को मिलता है। एक मां के तौर पर वो बेमिसाल थी, एक साधारण घरेलू महिला जिसने जीवन में हर दुख झेले और जीवन के अंत क्षणों में पूरे देश की मां हो गई।
हीराबेन अपने शुरुआती दौर में अपना घर का खर्च चलाने के लिए कुछ घरों में बर्तन मांजने का कार्य किया करती थी और अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा चला कर सूत काटती थी। हीराबेन एक ऐसी महिला थी जो दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां 100 वर्ष की उम्र में भी खुद के हाथों से सभी कार्य करना पसंद करती थीं और नियमित रहना पसंद करती थी। पीएम मोदी ने अपनी मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर कहा था कि उनकी मां हीराबेन को सुबह 4 बजे उठने की आदत हमेशा रही है। सुबह-सुबह ही वो बहुत सारे काम निपटाती थीं. गेहूं पीसना हो, बाजरा पीसना हो, चावल या दाल बीनना हो, सारे काम वो खुद करती थीं। इसके साथ ही वे अपनी पसंद के भजन भी गुनगुनाती रहती थीं।
एक व्यक्ति के जीवन में मां की भूमिका अहम होती है और ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी के जीवन में सबसे बड़ी भूमिका उनके मां की ही रही। खुद प्रधानमंत्री इस बात को स्वीकार करते हैं और हमेशा ही उनके बारे में कुछ न कुछ शेयर करते रहते हैं। एक मां जिसने लंबी जिंदगी जी और भरा पूरा परिवार देखा अपने पुत्र को देश के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचते देखा।
आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास मां के देहान्त के बाद दुनियाभर से शोक संदेश आ रहे हैं पूरा देश इस दुःख से गमगीन है खुद नरेंद्र मोदी जी अपने आंसू छिपा नहीं पा रहे हैं। ऐसे में उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी के मानवीय मूल्यों को समझा जाए और इस विराट विश्व के छोटे से समय में जो कुछ भी हमें हासिल है उसके लिए पूरे जी जान से हमें कोशिश करनी चाहिए ताकि जीवन का महत्व समझ आए और बेहतर से बेहतर जीवन जीने के लिए सादगी को ही अपना हथियार बनाएं।
-डॉ विनोद बछेती
(अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी मयूर विहार जिला
चेयरमैन, डीपीएमआई) के व्यक्तिगत विचार हैं।
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