झुकेगा आसमां भी, उम्मीदों के पंख फड़फड़ाना ना छोड़….
साधारण बगिया में ऐसे असाधारण फूल नहीं खिलते बल्कि माली की काबिलियत देख कर ही भगवान ऐसे बच्चों को भेजता है इसलिये हमें इन्हें बड़े ही प्यार और देखभाल के साथ संभालना चाहिये। इन्हें बोझ नहीं समझना चाहिये। क्योंकि हम आये दिन देखते हैं जहां लोग अपने बच्चों को छोड़ देते हैं क्यूंकि वह असामान्य है
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वर्ष 2000 में उनकी गोद में भगवान ने एक ऐसे ही प्यारे से बच्चे गविश को स्पेशल नीड के साथ भेजा। लेकिन बाकि दुनिया की तरह ज्योति खन्ना ने उस बच्चे का स्वागत दुख और आंसुओं से नहीं बल्कि उसे भगवान का आशीर्वाद समझ कर लिया। इतना ही नहीं न केवल उन्होंने उसे भरपूर प्यार और देखभाल दी बल्कि उसे इतना काबिल बनाया कि वह 10 वीं कक्षा में टाॅप कर सके जी-हां यकीन नहीं होता न! लेकिन ज्योति खन्ना जैसी हिम्मत वाली और सकारात्मक सोच रखने वाली इस महिला ने वह कर दिखाया… एक नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया और इतना ही नहीं, न केवल उन्होंने अपने बेटे गविश को उसके हक का प्यार, देखभाल और आदर दिलवाया बल्कि गविश के जैसे हज़ारों बच्चों को उनका हक दिलवाने की मुहिम चालू की। उन्होंने घर-घर जाकर पेरेंट्स को जागरूक करने की ठानी क्योंकि जब कोई साधारण बच्चा घर में जन्म लेता है तो उसे कैसे संभाला जाये ये तो घर में दादी-नानी सभी को पता होता है लेकिन एक स्पेशल नीड वाले असाधारण बच्चे को कैसे संभाला जाये ये जानकारी लोगों के पास नहीं होती है। जिस कारण लोग ऐसे बच्चों को एक अभिशाप या बोझ समझने की नादानी कर बैठते हैं। गविश 10वीं में टाॅप करने के बाद आज 12 छात्र है।
सबकुछ होगा आसां, तू हिम्मत से आगे कदम बढ़ा तो ज़रा
झुक जाऐगा आसमां भी खुद तेरे कदमों पे आके अदब से
तू उस भगवान की मर्जी की हां में हां मिला तो ज़रा….
जी-हां कुछ ऐसा ही मानना है खुशजोत फाउंडशन की फाउंडर ज्योति खन्ना का। वे बड़ी ही भावुक हो कर कहती हैं कि मैंने एक दिव्यांग बच्चे की मां होने के नाते बहुत संघर्ष किया है लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। मैं बाकी सभी पेरेंट्स को भी यही कहना चाहूंगी कि प्लीज़ हार न माने। यह न सोचें कि हमारा बच्चा कुछ नहीं कर सकता, अगर हम पेरेंट्स कोशिश करें तो अपने बच्चे को कहां से कहां ले जा सकते हैं। जब मैंने अपने बच्चे को एक स्पेशल स्कूल में भेजा और वहां एक डेढ़ साल वालिंटियर के रूप में कार्य किया तब मैंने वहां ऐसे दिव्यांग बच्चों और उनके पेरेंट्स की तकलीफों को बडे़ करीब से देखा और निर्णय लिया कि मैं अपना जीवन इसी क्षेत्र को समर्पित करूंगी और इसी लक्ष्य को पाने के लिए वर्ष 2019 में खुशजोत संस्था की नींव रखी गई। यही नहीं मैंने अपने बड़े बेटे खुशहाल को भी इसी क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा दी और जब उसने भी दिव्यांग बच्चों और उनके पेरेंट्स को नज़दीक से देखा तो वह स्वयं पूरा समय इसी क्षेत्र में सेवा करने में समर्पित हो गया। उसने इसी क्षेत्र में स्पेशल ट्रेनिंग ली और स्पेशल ऐजुकेटर के रूप में कार्यरत हो गया।
– दिव्यांग बच्चों को उनका हक दिलवाने के लिए जितनी भी गर्वमेंट स्कीम्स हैं उसमें उन्हें एप्लाय, इनरोल सबकुछ करवाते हैं फ्री ऑफ काॅस्ट
-पेरेंट्स में जागरूकता लाने के लिए हम समय समय पर जगह-जगह कैंपेन करते हैं
– इस सेवा कार्य के लिये स्वंयसेवी हमारी मदद करते हैं
– कोई भी स्वंयसेवी हमारी इस संस्था से जुड़ सकता है
– अवेयरनेस साइट्स हैं
– पेरेंटिंग नीड के सेशेन्स देते हैं
– पेरेंट्स के लिए मेन्टोरशिप प्रोग्राम हैं ताकि उन्हें रोज़मर्रा की ज़िंदगी में जो भी प्राॅब्लम्स आ रही हैं वे प्रोफेशनल्स की मदद ले सकें।
-निष्काम सेवा
जब खुद मंज़िल हमारी राह में पलकें बिछाये बैठी हो
बस शर्त ये एक छोटी सी है
कि हम कोशिश और उस रब पे भरोसे का दामन कभी न छोडें….
जी-हां कुछ ऐसा ही मानना है खुशजोत फाउंडेशन के डायरेक्टर खुशहाल सिंह का उनका कहना है कि ”पूरे भारत में खुशजोत पहली ऐसी संस्था है जो स्पेशल नीड पेरेंटिंग अवेयरनेस प्रोग्राम चलाती है क्यूंकि हमें ऐसा लगता है कि अगर हमने ऐसे बच्चों के पेरेंट्स को ऐजुकेट कर दिया तो हमें लगता है हमने उन बच्चों का भविष्य बना दिया। क्यूंकि हमें लगता है कि जब पेरेंट्स को सब पता होगा कि बच्चे की देखभाल कैसे करनी है सरकार की तरफ से क्या- क्या सुविधाऐं उपलब्ध हैं वगैर-वगैरह तभी वे उन्हें अच्छे से संभाल सकेंगे।“ और एक सबसे ज़रूरी बात कि भगवान ऐसे फूलों को ऐसी ही बगिया में खिलाता है जहां का माली इतना सक्षम हो जो उसे संभाल सके। साधारण बगिया में ऐसे असाधारण फूल नहीं खिलते बल्कि माली की काबिलियत देख कर ही भगवान ऐसे बच्चों को भेजता है इसलिये हमें इन्हें बड़े ही प्यार और देखभाल के साथ संभालना चाहिये। इन्हें बोझ नहीं समझना चाहिये। क्योंकि हम आये दिन देखते हैं जहां लोग अपने बच्चों को छोड़ देते हैं क्यूंकि वह असामान्य है लेकिन हम लोगों को समझाते हैं कि अपना नज़रिया बदलें वह भी हमारे जैसा ही है बस उसे अधिक प्यार और देखभाल की ज़रूरत है।”