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सत्ता का लालच नहीं, जनता का आशीर्वाद ही कमाया -अरविंद केजरीवाल

जंतर-मंतर पर 'जनता की अदालत' में संबोधन करते हुए बोले अरविंद केजरीवाल

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-ओम कुमार
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा आयोजित की गई जनता की अदालत में शामिल हुए। इस दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन, आप पार्टी के संगठन महासचिव संदीप पाठक, विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिड़ला, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, विधायक दुर्गेश पाठक, विधायक दिलीप पांडे मौजूद रहे।
     वहीं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता की अदालत में आए लोगों और कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि “मुझे आज भी याद है। 4 अप्रैल 2011 का दिन था, जब आजाद भारत का भ्रष्टाचार विरोधी सबसे बड़ा आंदोलन यहां जंतर-मंतर से शुरू हुआ था। उस वक्त की सरकार अहंकारी थी। चैलेंज करते थे कि चुनाव जीतकर दिखाओ। हम छोटे थे, चुनाव के लिए पैसा चाहिए था, गुंडे चाहिए थे, आदमी चाहिए थे। हम कैसे लड़ते हमारे पास कुछ नहीं था। हम भी चुनाव लड़ लिए, जनता ने जिता दिया, पहली बार में आम आदमी पार्टी की पहली बार सरकार बना दी। हमने साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े जा सकते हैं और जीते भी जा सकते।”
     अरविंद केजरीवाल ने आगे बोलते हुए कहा कि “मैंने अपनी जिंदगी में केवल इज्जत कमाई है। आज जब मैंने इस्तीफा दिया है, कुछ दिन में मैं मुख्यमंत्री आवास खाली कर दूंगा, आज दिल्ली में मेरे पास रहने के लिए घर भी नहीं है। मैंने 10 साल में केवल आपका आशीर्वाद कमाया है। मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मैं भ्रष्टाचार करने नहीं आया था, मुझे सत्ता का लालच, सीएम की कुर्सी की भूख नहीं है, मैं पैसे कमाने नहीं आया, पैसे कमाने होते तो मैं इनकम टैक्स की नौकरी करता था, उसमें करोड़ों रुपए कमा लेता बल्कि हम तो देश के लिए आए थे।”
     आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि “मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा गया। मेरे नेताओं को जेल भेजा गया। हमें चुनौती दी गई। चुनाव लड़ लो। 2013 में ईमानदारी से चुनाव लड़े। लोग कह रहे थे। उनकी जमानत जब्त होगी। लेकिन पहली बार में ही सरकार बना दी। सरकार बनने के बाद दिल्ली में बिजली, पानी, बस यात्रा फ्री, बच्चों की शिक्षा सब को फ्री कर दिया। उन्होंने हमारे पार्टी के बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया। जैसे ही नवरात्र आएंगे मैं घर छोड़ दूंगा। आप में से किसी के घर ही आ कर रहूंगा।”
     अरविंद केजरीवाल ने आगे अपने संबोधन में कहा कि “अगर मैं बेईमान होता तो दिल्ली को फ्री बिजली कैसे देता? बिजली का बिल फ्री करने के लिए 3 हजार करोड़ रुपये लगते हैं। अगर बेईमान होता तो शिक्षा, स्वास्थ्य में काम, महिलाओं के लिए फ्री यात्रा कैसे देता? मैं सारे पैसे खा जाता। BJP की 22 राज्यों में सरकार है लेकिन कहीं बिजली फ्री नहीं है, कहीं महिलाओं के लिए यात्रा फ्री नहीं है, तो चोर कौन हुआ?”
     वहीं, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जनता की अदालत में अपनी बात रखते हुए कहा कि “जब मैं जेल में था तो मुझे टॉर्चर करने की बहुत कोशिश की गई। मेरे सारे खाते बंद कर दिए गए। मुझे अपने बेटे की फीस भरने के लिए भी लोगों से भीख मांगनी पड़ी। इन्होंने सोचा होगा कि मनीष सिसोदिया ऐसी परिस्थितियों में टूट जाएगा। लेकिन मैं नहीं टूटा। मुझे बताया गया कि अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में आपका नाम ले दिया है। आप भी उनका नाम लेकर बचकर निकल जाओ। राजनीति में यह सब चलता रहता है। लेकिन मैं मुस्कुरा कर कहता था कि आप जानते हो हम कौन हैं हम टूटने वाले नहीं हैं।”
     पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि “हमने कभी नहीं सोचा था कि हम राजनीति में आएंगे। लेकिन भगवान ने हमारे लिए कुछ सोच रखा था। हम राजनीति में आए। हमने दिल्ली के बिजली पानी मुफ्त किया। बस यात्रा को फ्री किया। भाजपा ने जब अरविंद केजरीवाल को जेल में डाला तो लोगों में यह बात चर्चा का विषय बनी। कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया। कोर्ट ने ये मोहर लगा दी कि केस फर्जी है। लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक जनता उन्हें ईमानदार नहीं मानेगी। प्रचंड बहुमत से मुख्यमंत्री नहीं बनते तब तक मुख्यमंत्री के पद पर नहीं बैठेंगे।”
    दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद 15 सितंबर को सीएम पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी और 17 सितंबर को उन्होंने सीएम पद इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा था कि जब तक जनता की अदालत में उन्हें ईमानदार साबित नहीं किया जाता, तब तक वह दिल्ली में सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।
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