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डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने भेंट की ‘गाँव मजलिस’ की प्रतियाँ

इस अवसर पर ओड़िया निबंध संग्रह ‘गाँव मजलिस’ की हिंदी और अंग्रेजी अनुवादित संस्करणों की प्रथम प्रतियाँ माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेंट की गईं

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ओड़िशा के प्रख्यात राजनेता, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा विज्ञान भवन में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ओड़िया निबंध संग्रह ‘गाँव मजलिस’ की हिंदी और अंग्रेजी अनुवादित संस्करणों की प्रथम प्रतियाँ माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेंट की गईं।

यह किताबें साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जिसमें डॉ. महताब द्वारा लिखित ‘गाँ मजलिस’ के हिंदी अनुवादक सुजाता शिवेन और अंग्रेजी अनुवादक तरुण कुमार साहू हैं। इस अवसर पर साहित्य अकादमी द्वारा डॉ. महताब पर प्रकाशित विनिबंध का नया पुनर्मुद्रित संस्करण भी राष्ट्रपति महोदया को भेंट किया गया।

इस समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, ओड़िशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, कटक के सांसद एवं डॉ. महताब के पुत्र भर्तृहरि महताब समेत कई प्रमुख हस्तियाँ उपस्थित थीं।

साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित प्रदर्शनी

साहित्य अकादमी ने डॉ. हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्तकों की एक प्रदर्शनी भी लगाई, जिसमें राष्ट्रपति महोदया ने उत्सुकता से विभिन्न पुस्तकों का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने डॉ. महताब द्वारा लिखित पुस्तकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि युवा पीढ़ी को नवओड़िशा के निर्माता डॉ. महताब को अवश्य पढ़ना चाहिए, और उनकी पुस्तकों के हिंदी एवं अंग्रेजी अनुवादों के साथ प्रकाशित विनिबंध विशेष सहायक होंगे।

स्मृति में डाक टिकट एवं सिक्के का विमोचन

समारोह के दौरान डॉ. हरेकृष्ण महताब की स्मृति में एक डाक टिकट और सिक्के का विमोचन भी माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया गया। यह घटना ओड़िशा की सांस्कृतिक धरोहर और डॉ. महताब के योगदान को श्रद्धांजलि देने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

    इस समारोह ने डॉ. हरेकृष्ण महताब के योगदान को पुनः याद किया और उनकी विरासत को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने का अवसर प्रदान किया।

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