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वक्फ (संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा की मुहर, सत्ता और विपक्ष में तीखी बहस
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पारित, अब राष्ट्रपति की मुहर के बाद बनेगा कानून

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-ओम कुमार
संसद के लोकसभा से पास होने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को गुरुवार 3 अप्रैल को उच्च सदन राज्यसभा में पेश किया गया। जहां लगभग 12 घंटे चली लंबी चर्चा के बाद ये पारित हो गया। इस बिल के पक्ष में राज्यसभा में 128 वोट पड़े, जबकि 95 वोट बिल के विरोध में आए। वहीं लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने विरोध में मतदान किया। अब जब यह बिल राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी पास हो गया है। संसद के दोनों सदनों से पास विधेयक अब हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही विधेयक, कानून बन जाएगा और मौजूदा वक्फ कानून में संशोधन की लंबे समय से जारी प्रतीक्षा खत्म हो जाएगी। गौरतलब है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार के मकसद से लाया गया है, लेकिन इसे लेकर संसद के दोनों सदनों में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी दलों के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला।
राज्यसभा में वक्फ संशोधन पर वोटिंग के दौरान जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नेता सदन और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत तमाम बड़े नेता सदन में मौजूद रहे। विपक्ष की ओर से बिल में संशोधन के कई प्रस्ताव पेश किए गए, लेकिन एक के बाद एक सभी संशोधन ध्वनिमत से खारिज हो गए।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पेश करते हुए केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि इस कानून से किसी मुस्लिम का नुकसान नहीं होगा। उन्होंने सदन में कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के धार्मिक स्वरूप में कोई हस्तक्षेप नहीं करता बल्कि इसका मकसद उन्हें न्यायपूर्ण और पारदर्शी ढंग से प्रबंधित करना है। केंद्रीय वक्फ बोर्ड परिसद (Central Waqf Council) में कुल 22 सदस्य होंगे, जिनमें केवल 4 ही गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री और राज्यसभा सांसद एचडी देवेगौड़ा ने राज्यसभा में इस बिल का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि “यह विधेयक मुस्लिम धार्मिक प्रथाओं से कोई छेड़छाड़ नहीं करता, बल्कि सिर्फ वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और राजस्व से जुड़ा है। भारत में वक्फ बोर्डों के पास 8.7 लाख संपत्तियां और 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जिसकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है, लेकिन इसे कुछ ताकतवर लोग अपने फायदे के लिए चला रहे थे।”

बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बिल का जबरदस्त विरोध करते हुए कहा कि “यह अल्पसंख्यकों को परेशान करने की साजिश है। सन् 1995 के वक्फ अधिनियम में कोई बदलाव नहीं किया गया था, तब बीजेपी को कोई दिक्कत नहीं थी। इस बिल में सर्वेक्षण आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त को हटाकर कलेक्टर को जिम्मेदारी देना मुसलमानों के लिए नई मुश्किलें खड़ी करेगा।”
राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजेपी के तेज तर्रार सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि “यह विधेयक उनकी पार्टी की वक्फ समिति द्वारा विस्तृत अध्ययन के बाद तैयार किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इंडोनेशिया, तुर्की, इराक और सीरिया जैसे कई इस्लामिक देशों में वक्फ की व्यवस्था नहीं है, तो भारत में इसे क्यों बनाए रखा गया है? क्या भारत में सिख, पारसी और ईसाई समुदायों को ऐसी विशेष शक्तियां प्राप्त हैं जैसी वक्फ बोर्ड को दी गई हैं।”
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