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Port Blair अब ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा
अंडमान और निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर हुआ 'श्री विजयपुरम, : मोदी सरकार का बड़ा फैसला
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-ओम कुमार
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी “पोर्ट ब्लेयर” का नाम बदलकर “श्री विजयपुरम” करने का बड़ा फैसला किया है। अब पोर्ट ब्लेयर की पहचान श्री विजया पुरम के नाम से होगी। पोर्ट ब्लेयर का नाम 1789 में ईस्ट इंडिया कंपनी के आर्चीबाल्ड ब्लेयर के सम्मान में रखा गया था। जिसे अब बदलकर श्री विजया पुरम किया गया है। केंद्र की मोदी सरकार एक-एक करके अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीक वाले नामों को हटा रही है। कई शहरों के नाम बदले जा चुके हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि “देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। श्री विजयपुरम नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।”
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आगे अपने पोस्ट में कहा कि “इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।”
अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का इतिहास
अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर की कहानी ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से शुरू होती है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1789 में बंगाल की खाड़ी में रणनीतिक उपस्थिति के लिए यहां बस्ती बसाई थी। शुरुआत में अंग्रेजों ने यहां अपराधियों और कैदियों को रखा। पोर्ट ब्लेयर में सेलुलर जेल, जिसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है। इसे 1896 से 1906 के बीच बनाया गया था। इस जेल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को रखा गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने पोर्ट ब्लेयर पर कब्जा कर लिया था। पोर्ट ब्लेयर में नेताजी स्टेडियम है, जिसे नेताजी क्लब के नाम से भी जाना जाता है। इस क्लब का दौरा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में किया था। जहां उन्होंने पहली बार आजाद भारत में तिरंगा फहराया था।
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