मेरे अलफ़ाज़/कवितासाहित्य

त्याग की भावना से ही वास्तविक आनंद और संतोष की प्राप्ति होती है -तेजिंदर सिंह लूथरा

साहित्य अकादमी में सतर्कता जागरुकता अभियान सम्पन्न, तेजिंदर सिंह लूथरा ने दिए ईमानदारी के संदेश

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साहित्य अकादमी द्वारा 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में आरंभ किए गए सतर्कता जागरुकता अभियान का समापन आज एक प्रेरणादायक कार्यक्रम के साथ हुआ। इस समारोह में भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और प्रख्यात कवि तेजिंदर सिंह लूथरा ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार साझा किए।
     अपने संबोधन में कवि तेजिंदर लूथरा ने साहित्य अकादमी के कर्मचारियों को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के मूल्यों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने जीवन में दूर-दृष्टि की नीति का महत्व समझाते हुए कहा कि लालच और त्वरित लाभ के आकर्षण से दूर रहना आवश्यक है, क्योंकि इससे ही दीर्घकालिक सफलता और आत्म-संतोष की प्राप्ति होती है। उन्होंने संस्कृत की प्रसिद्ध उक्ति “त्यागेनैके अमृतत्वमानशुः” का संदर्भ देते हुए कहा कि त्याग की भावना से ही वास्तविक आनंद और संतोष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कई उदाहरण देकर समझाया कि किस प्रकार व्यक्ति अपने जीवन में संयम और ईमानदारी के मूल्यों का पालन करके समाज में एक सशक्त और सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
     समारोह की शुरुआत में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने मुख्य अतिथि लूथरा का स्वागत किया। श्रीनिवासराव ने उन्हें उत्तरीय और साहित्य अकादमी की पुस्तक भेंट करते हुए स्वागत संबोधन दिया। धन्यवाद ज्ञापन में उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी के प्रत्येक कर्मचारी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा और जिम्मेदारी से करना चाहिए ताकि संगठन में एक स्वस्थ कार्य संस्कृति का निर्माण हो सके।
     इस अवसर पर कर्मचारियों ने भी भ्रष्टाचार निवारण और सतर्कता पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने ईमानदारी को जीवन का मूलमंत्र मानते हुए कहा कि एक सच्चे और निष्पक्ष व्यक्ति ही समाज और राष्ट्र की प्रगति में वास्तविक योगदान दे सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान लूथरा ने कर्मचारियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए और अपने अनुभवों से संबंधित कई रोचक कहानियाँ साझा कीं, जिससे सभी उपस्थित लोग प्रेरित हुए।
     ज्ञात हो कि यह सतर्कता जागरूकता अभियान साहित्य अकादमी द्वारा भ्रष्टाचार निवारण और राष्ट्र की सुरक्षा, एकता और अखंडता की शपथ के साथ शुरू किया गया था। कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने कुशलता से किया। इस पूरे अभियान का उद्देश्य कर्मचारियों के अंदर सच्चाई, ईमानदारी और निष्ठा के मूल्यों को प्रोत्साहित करना और उन्हें उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाना था।
-भूपिंदर सिंह
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