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मकर संक्रांति के पावन अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (IGNCA) के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (एनएमसीएम) ने अपना प्रतिष्ठा दिवस धूमधाम से मनाया। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति और ग्रामीण धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आईजीएनसीए के डीन (प्रशासन) एवं कलानिधि प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. रमेश चंद्र गौड़ ने की। इस अवसर पर एनएमसीएम के निदेशक डॉ. मयंक शेखर ने अतिथियों का स्वागत किया।
संगोष्ठी और फिल्म लोकार्पण
कार्यक्रम के दौरान एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देश की ग्रामीण संस्कृति और उसकी समृद्धि पर विचार साझा किए गए। संगोष्ठी में श्री विमल कुमार सिंह ने ‘भविष्य के गांव’ पर अपने विचार रखे, जबकि श्री आशीष कुमार गुप्ता ने ‘भारतीय ग्राम व्यवस्था’ पर नई दृष्टि प्रस्तुत की।
इस अवसर पर तीन विशेष फिल्मों का लोकार्पण किया गया, जो भारत के तीन विशिष्ट गांवों पर आधारित हैं:
- सिंगरौर उप्रहार (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)
- अयरूर (रन्नी तहसील, पतनमतिट्टा, केरल)
- जोनबील (मेरीगांव, असम)
गांवों की संस्कृति: भारतीय आत्मा
एनएमसीएम का प्रतिष्ठा दिवस मकर संक्रांति के महत्त्व को समर्पित है, जो भारतीय संस्कृति, विशेष रूप से ग्रामीण संस्कृति का प्रतीक है। महात्मा गांधी के विचार, “मेरे लिए भारत गांव से शुरू होता है और गांव पर ही खत्म,” इस पहल के मूल में हैं।
एनएमसीएम भारत के साढ़े छह लाख गांवों की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और दस्तावेजीकरण कर रहा है। शहरीकरण के चलते गांवों का आकार और उनकी पारंपरिक संस्कृति तेजी से बदल रही है। ऐसे में ग्रामीण लोकाचार को सहेजना और बढ़ावा देना एनएमसीएम का प्राथमिक उद्देश्य है।
भारतीय ग्रामीण संस्कृति का संरक्षण
इस आयोजन ने भारतीय संस्कृति में गांवों के महत्त्व और उनकी प्रगति पर विचार साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। एनएमसीएम देश की समृद्ध ग्रामीण संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।


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