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साहित्य अकादेमी द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किए जाने वाले प्रतिष्ठित युवा साहित्य पुरस्कार 2024 का आयोजन आज महाराज कृष्ण चंद्र गजपति प्रेक्षागृह, उत्कल विश्वविद्यालय, में एक भव्य समारोह में किया गया। यह समारोह साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जेरी पिंटो (लघु कथाकार, अंग्रेज़ी विद्वान, अनुवादक एवं पत्रकार) उपस्थित थे। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने समापन वक्तव्य दिया और साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया।
समारोह की शुरुआत में सचिव के. श्रीनिवासराव ने युवा लेखकों की भूमिका को विशेष रूप से सराहा और कहा कि युवा प्रतिभा ही समाज में आशा और ऊर्जा का संचार करती है। उनका मानना था कि साहित्य अकादेमी द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं।
साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आज यहां पुरस्कृत युवा लेखक न केवल अपनी-अपनी भाषाओं के सशक्त रचनाकार हैं, बल्कि वे अपनी भाषाओं को जीवित रखने के भी सेनापति हैं। उन्होंने युवा लेखकों को भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ने का सुझाव दिया, क्योंकि आज के डिजिटल युग में उन्हें इस दिशा में हजारों साधन उपलब्ध हैं।
मुख्य अतिथि जेरी पिंटो ने युवा लेखकों को अपने विचार साझा करते हुए कहा कि उनके लेखन की सफलता के लिए उनके काम का व्यापक अनुवाद बेहद आवश्यक है। उनका कहना था कि अनुवाद केवल अंग्रेज़ी में ही नहीं, बल्कि भारतीय भाषाओं में भी होना चाहिए। उन्होंने पुस्तकें खरीदने की अहमियत पर भी बल दिया, क्योंकि किताबें विचारों का बीज होती हैं, जो आगे चलकर विचारों के एक जंगल में बदल सकती हैं।
समारोह का समापन करते हुए साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने विवेकानंद जी के जन्मदिवस के अवसर पर इस आयोजन को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि हमें उनके विचारों को अपने जीवन में समाहित करना चाहिए।
पुरस्कार विजेताओं की सूची:
इस वर्ष 22 युवा लेखकों को विभिन्न भाषाओं में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनमें प्रमुख पुरस्कार विजेता लेखक इस प्रकार हैं:
- हिंदी: गौरव पाण्डेय, कविता संग्रह ‘स्मृतियों के बीच घिरी है पृथ्वी’
- अंग्रेज़ी: के. वैशाली, ‘होमलेस ग्रोइंग अप लेसबियन एंड डिस्लेक्सिक इन इंडिया’
- पंजाबी: रणधीर, ‘ख़त जो लिखणो रह गए’ (कविता संग्रह)
- उर्दू: जावेद अंबर मिस्बाही, ‘स्टेपनी’ (कहानी संग्रह)
इसके अलावा, अन्य भाषाओं के पुरस्कार विजेताओं में शामिल हैं:
- बांग्ला: सुतपा चक्रवर्ती, ‘देराजे हालुद फुल’
- मराठी: देवीदास सौदागर, ‘उसवण’ (उपन्यास)
- मलयाळम्: श्यामकृष्णन आर., ‘मीशाक्कल्लन’ (कहानी संग्रह)
- नेपाली: सूरज चापागाईं, ‘क्यानभासको क्षितिज’ (कविता संग्रह)
- राजस्थानी: सोनाली सुथार, ‘सुध सोधूं जग आंगणै’ (कविता संग्रह)
- तेलुगु: रमेश कार्तिक नायक, ‘धावळो’ (कहानी संग्रह)
सभी पुरस्कार विजेताओं को एक उत्कीर्ण ताम्रफलक और 50,000 रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई।
आगामी कार्यक्रम:
कल (13 जनवरी 2025) को पूर्वाह्न 10ः30 बजे, पुरस्कृत युवा साहित्यकारों के साथ एक ‘लेखक सम्मिलन’ का आयोजन होगा, जिसमें ये लेखक अपने स्वीकृति वक्तव्य और रचनात्मक लेखन के अनुभव साझा करेंगे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा करेंगी।
यह पुरस्कार समारोह न केवल युवा साहित्यकारों के लिए एक प्रोत्साहन है, बल्कि भारतीय साहित्य को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लेखकों को सम्मानित करने का एक अत्यंत सराहनीय प्रयास है।


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