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निठारी हत्याकांड में नया मोड़ :सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को बरी किया; वकील बोले-ताकतवर को बचाने के लिए गरीब को फंसाया गया,CJI बेंच ने कहा-तुरंत रिहा किया जाए

19 साल बाद मिला इंसाफ : 10 मामलों में मौत की सजा पा चुका था कोली, अब सभी आरोपों से मुक्त

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Nithari case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निठारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को अंतिम मामले में भी बरी कर दिया। कोर्ट ने उसकी क्यूरेटिव पिटीशन स्वीकार करते हुए दोषसिद्धि रद्द कर दी। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने आदेश दिया कि कोली को तुरंत रिहा किया जाए। इस फैसले के साथ ही 2005-2006 के बहुचर्चित निठारी केस का कानूनी अध्याय लगभग समाप्त हो गया है।

पहले भी 12 मामलों में बरी
सुरेंद्र कोली को पहले ही 12 मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट बरी कर चुका था। सिर्फ एक मामला बचा था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2011 में उसकी सजा बरकरार रखी थी। कोली पर 15 साल की लड़की की हत्या और रेप का आरोप था। अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस अंतिम केस में भी उसे निर्दोष माना है।

वकील का बयान- हर सबूत झूठा था
सुरेंद्र कोली के वकील युग मोहित चौधरी ने कहा कि उनके मुवक्किल को गलत तरीके से फंसाया गया था। उन्होंने दावा किया कि “इस गरीब को किसी ताकतवर व्यक्ति को बचाने के लिए बलि का बकरा बनाया गया।” चौधरी ने कहा कि सीबीआई ने जानबूझकर झूठे सबूत तैयार किए और असली अपराधी को बचाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले भी दी थी राहत
जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था क्योंकि दया याचिका पर फैसला आने में बहुत ज्यादा देरी हुई थी। 2023 में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के कई फैसले पलटते हुए कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को 12 मामलों में बरी किया था। सीबीआई और पीड़ित पक्ष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में सभी अपीलें की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 30 जुलाई को सीबीआई और पीड़ित परिवारों की सभी 14 अपीलें खारिज कर दीं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि दोषसिद्धि केवल एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी के आधार पर हुई थी, जबकि अन्य मामलों में सबूत नहीं टिके।

2006 में खुला था निठारी कांड का रहस्य
29 दिसंबर 2006 को नोएडा के निठारी गांव में कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे। जांच के दौरान कई बच्चों और महिलाओं के गायब होने के मामले सामने आए। इसके बाद कोली और पंढेर को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला देश में सनसनी बन गया था।

क्यूरेटिव पिटीशन क्या होती है
क्यूरेटिव याचिका न्यायपालिका का अंतिम उपाय होती है। जब सभी अपीलें और पुनर्विचार याचिकाएं खत्म हो जाती हैं, तब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की जाती है। सुप्रीम कोर्ट केवल दुर्लभ मामलों में इसे स्वीकार करता है।

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