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आइए जाने अध्यादेश के खिलाफ किसने-किसने कहा हम साथ-साथ हैं

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिनों के बाद केंद्र सरकार ने 19 मई 2023 को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर एक अध्यादेश जारी कर दिया

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दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP)के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) विपक्षी नेताओं को एकजुट करने में लगे हुए हैं।
इसी कढ़ी में अरविंद केजरीवाल ने 1 जून गुरुवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) से चेन्नई में उनके आवास पर मुलाकात की। अरविंद केजरीवाल ने अध्यादेश के खिलाफ एमके स्टालिन से समर्थन मांगा और एमके स्टालिन ने अपना समर्थन आम आदमी पार्टी को देने का फैसला किया है।
     दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “हमने आज उनसे (एमके स्टालिन) दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा की। यह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। सीएम स्टालिन ने आश्वासन दिया है कि डीएमके, आम आदमी पार्टी और दिल्ली के लोगों के साथ खड़ी रहेगी।”
     जानकारी के लिए बता दें कि इस मुलाकात के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह,और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के साथ-साथ दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं।
     आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल 2 जून को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी रांची में मुलाकात करेंगे और उनसे इस बिल का विरोध करने के लिए समर्थन मांगेंगे।
           जानकारी के लिए बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इससे पहले पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,
तेलंगाना (Telangana) के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव,
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मुखिया शरद पवार (Sharad Pawar) और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आरजेडी के प्रमुख नेता और बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव,
सीपीआई(एम) CPI(M) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी सहित कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। विपक्ष के लगभग कई नेताओं ने इस अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में वोट करने का आश्वासन दिया है और अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया समर्थन करने का फैसला किया है।
     देश की सर्वोच्च अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2023 को दिल्ली मे अधिकार मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा. 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर दिल्ली के उपराज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे।
     सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिनों के बाद केंद्र सरकार ने 19 मई 2023 को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर एक अध्यादेश जारी कर दिया। इस अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग (Transfer Posting) का आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 5 जजों की संविधान पीठ से पुनर्विचार करने की याचिका लगाई थी, इस पर आगे सुनवाई अभी होनी है।
-ओम कुमार
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