Republic Day पर संस्कृति मंत्रालय की भव्य झांकी: सांस्कृतिक विविधता और रचनात्मकता का उत्सव
यह झांकी हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देती है और हर नागरिक को एक उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है -संस्कृति सचिव, अरुणीश चावला

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केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस पर एक भव्य झांकी प्रस्तुत की, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और रचनात्मकता का उत्सव है। प्रधानमंत्री के ‘विरासत भी, विकास भी’ के मूलमंत्र से प्रेरित यह झांकी देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सतत विकास की संभावनाओं को प्रदर्शित करती है। यह भारत के विकसित राष्ट्र बनने के ‘विज़न 2047’ में संस्कृति और रचनात्मकता के योगदान को रेखांकित करती है।
संस्कृति सचिव अरुणीश चावला ने कहा, “यह झांकी हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देती है और हर नागरिक को एक उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। इसमें कला, संगीत और परंपराओं की गहराई को आधुनिक व्यवसाय और नवाचार से जोड़ा गया है।”
झांकी के मुख्य आकर्षण:
- कुम्हार के चाक पर याढ़
प्राचीन तमिल वाद्य यंत्र, जो भारत की संगीत परंपरा की स्थिरता और निरंतरता का प्रतीक है। - काइनैटिक कल्पवृक्ष
रचनात्मकता से भरपूर यह संरचना धीरे-धीरे ‘सोने की चिड़िया’ का रूप लेती है, जो सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक प्रगति का प्रतीक है। - डिजिटल स्क्रीन
झांकी के दोनों ओर लगे दस डिजिटल स्क्रीन प्रदर्शन कला, साहित्य, वास्तुकला, डिज़ाइन और पर्यटन जैसे रचनात्मक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यह झांकी न केवल भारत के गौरवशाली अतीत को दर्शाती है, बल्कि सशक्त और रचनात्मक भविष्य का सपना भी दिखाती है। संस्कृति मंत्रालय की यह पहल हर नागरिक को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने का संदेश देती है।


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