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भोपाल में भोज वेटलैंड संरक्षण के लिए नागरिक सहभागिता की पहल

मध्य प्रदेश राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन (CEE) और सॉलिडारिडाड के सहयोग से आयोजित किया गया

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पास भोज वेटलैंड कैचमेंट क्षेत्र में 21 से 23 सितंबर तक पुनर्योजी कृषि और सतत वेटलैंड प्रबंधन पर केंद्रित एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय किसानों और समुदायों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना है, ताकि वेटलैंड संरक्षण को एक नई दिशा मिल सके। इसे मध्य प्रदेश राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, सेंटर फॉर एन्वायरनमेंट एजुकेशन (CEE) और सॉलिडारिडाड के सहयोग से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की गतिविधियाँ
इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में किसानों को वेटलैंड संरक्षण के साथ-साथ पुनर्योजी खेती के लाभों के बारे में जागरूक किया गया।
प्रमुख गतिविधियों में शामिल थे:—
1. ट्राइकोडर्मा उत्पादन के लिए किसान लैब: छोटे किसानों, युवाओं और महिलाओं को ट्राइकोडर्मा उत्पादन का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जिससे वे जैविक खेती की दिशा में आगे बढ़ सकें।
2. जैव विविधता और खाद्य उत्पादन में परिवर्तन का अध्ययन: स्थानीय समुदायों के बीच खाद्य आदतों और कृषि पद्धतियों का अंतर-पीढ़ी अध्ययन किया गया, जिससे इस क्षेत्र में कृषि की विकास यात्रा को समझा जा सके।
3. वेटलैंड संरक्षण और खेती: वेटलैंड पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में खेती की भूमिका और जैविक कृषि पद्धतियों के महत्व पर गहन चर्चा की गई।
भोज वेटलैंड का महत्व:
भोज वेटलैंड एक मानव निर्मित जलाशय है, जिसमें अपर और लोअर लेक शामिल हैं। ये झीलें 11वीं शताब्दी में बनाई गई थी और आज यह क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध है। यहाँ विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं। वेटलैंड का यह क्षेत्र न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
सामुदायिक सहयोग की आवश्यकता
सॉलिडारिडाड के जनरल मैनेजर डॉ. सुरेश मोटवानी ने कहा, “वेटलैंड संरक्षण सामुदायिक प्रयासों पर निर्भर करता है। यह पहल दिखाती है कि कैसे किसानों, नागरिकों और संस्थानों के बीच सहयोग से स्थायी इकोसिस्टम बनाया जा सकता है। हम गर्व महसूस करते हैं कि हम इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं, जो स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाते हुए मध्य प्रदेश की अमूल्य वेटलैंड धरोहर का संरक्षण करता है।”
     सुश्री सुमन प्रसाद, डीडीए, ने कहा, “यह ट्राइकोडर्मा किसान संयंत्र भोज वेटलैंड के जलग्रहण क्षेत्र में पुनर्योजी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण पहल है।”
     इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि वेटलैंड क्षेत्र में किसानों को जैविक खेती की ओर बढ़ने में समर्थन देना भी है। इस कार्यक्रम में डॉ. लोकेंद्र ठक्कर, ओआईसी, एमपी राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, और अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया।
     यह कार्यक्रम स्थानीय किसानों और समुदाय के सदस्यों के बीच जागरूकता और सहभागिता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भोज वेटलैंड का संरक्षण और पुनर्योजी खेती को बढ़ावा मिल सके।
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