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साहित्य अकादेमी की ‘क़िस्सा-ओ-कलम’ कार्यशाला में बच्चों ने सीखी लेखन की बारीकियाँ

क़िस्सा-ओ-कलम 2025 में बच्चों की कल्पना को मिला शब्दों का संसार, रचनात्मकता और कल्पना को मिला नया आयाम

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साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित रचनात्मक लेखन कार्यशाला ‘क़िस्सा-ओ-कलम’ का छठा संस्करण 26 से 30 मई 2025 तक आयोजित किया गया। बच्चों और युवाओं को भाषा एवं साहित्य के प्रति संवेदनशील और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित इस पाँच दिवसीय कार्यशाला में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के 10 से 18 वर्ष के 43 बच्चों ने भाग लिया।

हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा में आयोजित इस कार्यशाला की शुरुआत अकादेमी ने वर्ष 2017 में की थी।

इस वर्ष की कार्यशाला का विषय था –
‘हरे और नीले तथा अन्य सभी रंगों के बारे में: हमारे लुप्तप्राय ग्रह के बारे में लेखन’।

कल्पनाओं को मिले पंख

इस कार्यशाला में बच्चों को रचनात्मक लेखन के मूल तत्वों, भाषा के साथ खेलने, पढ़ने-लिखने के आनंद, कल्पना के विस्तार और आत्म-संपादन की प्रक्रिया से परिचित कराया गया। समूह चर्चा और व्यक्तिगत लेखन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को अपने विचार साझा करने और सुनने-सुनाने की प्रेरणा दी गई।

विशेष अतिथि से संवाद

जैसा कि पिछले संस्करणों की परंपरा रही है, इस बार भी बाल साहित्य की एक प्रसिद्ध लेखिका को आमंत्रित किया गया। इस वर्ष कार्यशाला में प्रख्यात लेखिका और पर्यावरण इतिहासकार मेघा गुप्ता ने विशेष बातचीत सत्र में बच्चों से संवाद किया और पर्यावरण, लेखन और संवेदना पर अपने अनुभव साझा किए।

कहानियों की प्रस्तुति और सम्मान

कार्यशाला के अंतिम दिन, सभी बच्चों ने अपने द्वारा लिखी गई कहानियों को मंच पर प्रस्तुत किया। इन कहानियों को उन्होंने पाँच दिनों के दौरान स्वयं रचा था। इस अवसर पर बच्चों के अभिभावक भी उपस्थित रहे और अपने बच्चों की रचनात्मकता को देख अत्यंत गौरवांवित हुए।
साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने सभी बच्चों को भागीदारी प्रमाण पत्र प्रदान किए।

आयोजन की समग्र ज़िम्मेदारी

कार्यशाला का समन्वय कार्यक्रम अधिकारी मृगनयनी गुप्ता ने किया, जबकि समग्र प्रभारी उप सचिव (प्रकाशन) डॉ. एन. सुरेश बाबू रहे। कार्यशाला के संचालन में चंदना दत्ता और वंदना बिष्ट ने प्रमुख भूमिका निभाई।

इस वर्ष का सबसे प्रेरणादायक क्षण रहा एक राजस्थान के छात्र की भागीदारी, जो विशेष रूप से इस कार्यशाला के लिए दिल्ली आया। उसकी उपस्थिति ने प्रशिक्षकों को गहरे स्तर पर प्रेरित किया।

     कार्यशाला के समापन पर बच्चों, आयोजकों और प्रशिक्षकों के साथ एक स्मृति समूह चित्र लिया गया, जिसमें इस पाँच दिवसीय रचनात्मक यात्रा की उल्लासपूर्ण छवि कैद हो गई।

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