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बिहार की ‘स्वर कोकिला’ शारदा सिन्हा का निधन, छठ गीतों से बनाई थी खास पहचान

लोकगायिका शारदा सिन्हा ने 72 की उम्र में एम्स दिल्ली में ली आखिरी सांस

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देश की जानी-मानी लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार, 5 नवंबर को निधन हो गया। दिल्ली के एम्स में उन्होंने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। लोकगायिका शारदा सिन्हा की तबीयत सोमवार को अचानक बिगड़ी थी, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उन्हें बिहार की ‘स्वर कोकिला’ भी कहा जाता था। शारदा सिन्हा ने तमाम छठ गीतों को अपनी आवाज दी थी। छठ पर्व के दौरान उनके इस दुनिया से अलविदा लेने से देश में शोक की लहर है।
     जानकारी के लिए बता दें कि शारदा सिन्हा के पति का हाल ही में ब्रेन हैमरेज से निधन हुआ था। इसके बाद से उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी थी। बीते दिनों उन्हें बोन मैरो कैंसर डिटेक्ट हुआ था। जिसके बाद उनका इलाज दिल्ली के एम्स के अंकोलॉजी मेडिकल डिपार्टमेंट में चल रहा था।
     सोमवार 4 नंवबर की शाम को शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया था, जिसके बाद से वो वेंटिलेटर पर थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ही शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा से फोन पर बात करके उनकी हेल्थ के बारे में जानकारी ली थी।
     लोकगायिका शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शोक जताते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि “सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!”
     शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 में बिहार के सुपौल जिले के हुलास में हुआ था। उन्होंने बैचलर ऑफ एजुकेशन और म्यूजिक से एमए किया है। उनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में सीनियर अधिकारी हुआ करते थे। शारदा सिन्हा के पति का नाम ब्रजकिशोर सिन्हा था। हाल ही में ब्रेन हैमरेज से उनकी मौत हुई थी। उनके दो बच्चे हैं। बेटे का नाम अंशुमान सिन्हा और बेटी का नाम वंदना है।
     साल 1989 में उनका गाना ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां’ रिलीज हुआ था। इसी गाने से उनकी बॉलीवुड में एंट्री हुई। शारदा सिन्हा ने समस्तीपुर वीमेन कॉलेज में बतौर प्रोफेसर काम भी किया है। उन्होंने छठ के अलावा शादी, मुंडन, जनेऊ, विदाई और श्रद्धांजलि के गीत भी गाए हैं। शारदा सिन्हा बिहार और झारखंड में बहुत ही लोकप्रिय थी। देश में लोक गायन में शारदा सिन्हा ने एक अपना मुकाम बनाया था।
     शारदा सिन्हा को साल 1991 में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। साल 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 2006 में वो राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवॉर्ड से सम्मानित हुईं थी। साल 2015 में बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सरकार पुरस्कार से नवाजा था। साल 2018 में भारत सरकार ने शारदा सिन्हा को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।
-ओम कुमार
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