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Art Exhibition: प्रकृति के तत्वों को उजागर करती ‘पंचतत्व की समरसता’ प्रदर्शनी
दिल्ली के ललित कला अकादमी के गैलरी 1 और 2 में मीनाक्षी अग्रवाल की कला प्रदर्शनी 10 अक्टूबर तक देखी जा सकती है
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हम ब्रह्माण्ड के एक बड़े कैनवास पर एक छोटा सा कण हैं; फिर भी यह छोटा सा कण एक ऐसा अणु है, जो हमारी मौजूदा दुनिया को पूर्णता देता है। जो ब्रह्मांड में हैं, वही पिण्ड में है। अंतत: हर अस्तित्व प्रकृति की विराटता ही दर्शाता है। यानी, सब कुछ पंच तत्वों से ही आच्छादित है। हम अपनी पांच ज्ञानेंद्रियों से इसका अनुभव करते हैं। हम हर क्षण यह अनुभव करते हैं कि हमारा अस्तित्व अग्नि, वायु, जल, आकाश और पृथ्वी जैसे पंच तत्वों के साथ एकाकार है। जैसे-जैसे हम सार्वभौमिक अस्तित्व के बारे में जागरूक होते हैं, हम इन तत्वों के निकट पहुंचते जाते हैं। मीनाक्षी अग्रवाल ने अपनी पूर्ण चेतना के माध्यम से अपनी वर्तमान प्रदर्शनी ‘पंचतत्व की समरसता’ में प्रकृति के तत्वों को उजागर किया है।
दिल्ली के ललित कला अकादमी की गैलरी 1 और 2 में मीनाक्षी अग्रवाल की हार्मनी ऑफ पंचतत्व कला प्रदर्शनी का उद्घाटन 4 अक्टूबर बुधवार को किया गया। यह कला प्रदर्शनी 10 अक्टूबर तक देखी जा सकती है।
मीनाक्षी ने अपनी नैसर्गिक शैली (natural style) में, भारतीय लोक मानस को व्यक्त किया है। उनकी कृतियां (creations) पंच तत्वों के बारे में उनके विचारों को मूर्त रूप देती हैं। ये प्रकृति के तत्वों का चित्रांकन हैं, जिन्हें उन्होंने ज्ञान व उपादान सामग्री के रूप में चिह्नित किया है। इस प्रकार हम हिमालय और सह्याद्री की पर्वत श्रृंखलाओं को गरिमापूर्ण पुरुष रूप में उनके बनाए हुए चित्रों में देखते हैं, आकाश तत्व का अनुभव करते हैं। रचनात्मक ऊर्जा से भरपूर वन, अनेक प्रकार के जीव-जंतुओं का वास हैं। मीनाक्षी अग्रवाल ने इसे पंचतत्व की अपनी समझ के साथ जोड़ा है और इसे दिव्य लेकिन सर्वशक्तिमान वनदेवी का रूप दिया है। धरती को गेरूए और भूरे रंग में चित्रित करके इसे एक सर्वशक्तिमान देवी के रूप में चित्रित किया गया है, जो उनके स्वयं के साथ एकाकार हो जाती है। लहरों-तरंगों के साथ प्रवाहमय जल उनके चित्रों में इस शैली में प्रस्तुत किया गया है, जो वैदिक काल से ही नदियों को देवी का दर्जा देने की वास्तविकता में निहित है। यह प्राचीन भारतीयों द्वारा सिंधु की गौरव गाथा गाये जाने का स्मरण कराता है। यह वही जल है, जिसने उस काल की संस्कृति की रचना की और आज भी देशभर की नदियां ऐसा ही कर रही हैं। वायु जब तेजी से बहती है तो वह युवक का रूप ले लेती है, जिसकी जटाएं हर तरफ फैली होती हैं। इस तरह वायु की शक्ति सामने आती है। दूसरी तरफ मीनाक्षी के लिए अग्नि सूर्य की तरह दैदीप्यमान है, जिसे चमकदार पीले व नारंगी रंग से उकेरा गया है। इस तरह अग्नि को युवावस्था के रूप में दर्शाया गया है।
मीनाक्षी के चित्र रूपों, रंगों के साथ इन तत्वों की विशेषताओं को सामने लाते हैं। इन्हें देखकर उस शक्ति का आभास होता है, जो हर जीवित क्षण में ब्रह्माण्ड को जोड़ती भी है और उसे बिखेरती भी है। उनकी कृतियां उस संवेदनशील अवलोकन पर आधारित हैं, जो विराट ब्रह्मांड के अंग के रूप में ‘आत्मन’ की उनकी समझ से उभरती है। इन कृतियों में जो सबसे आकर्षक है, वह उनके सांस्कृतिक अनुभवों से पैदा होने वाला सरल चित्रांकन है। इसमें इन तत्वों को सघनता से समझने का कोई बोझ नहीं है। एक तरफ ऐसे तपस्वी हुए हैं, जिन्होंने ब्रह्माण्ड के सत्य की खोज में भौतिक दुनिया को छोड़ दिया, वहीं हम लोग हैं जो अपने जीवन की आपाधापी में अस्तित्व की जटिलताओं में खोये रहते हैं। भारतीय दर्शन आत्मज्ञान तक पहुंचने के इन दोनों तरीकों का पालन करते हैं। मानव स्थिति के हर पक्षों का कोई त्याग कर सकता है, तो कोई उनमें संलग्न हो सकता है। प्रकृति को भीतर और बाहर से महसूस करने के लिए सभी के पास ज्ञानेन्द्रियां मौजूद हैं। हम विरासत का एक छोटा सा हिस्सा हैं, लेकिन अपने आप में पूर्ण हैं। यही पंचतत्व की समरसता है, जिसे मीनाक्षी खोजना चाहती हैं तथा इस श्रृंखला में उन्होंने इसे बखूबी पेश किया है।
आइए जाने चित्रकार मीनाक्षी अग्रवाल के बारे में1989 में लेडी इरविन कॉलेज से फूड्स एंड न्यूट्रिशन में एमएससी मीनाक्षी अग्रवाल ने अपने बच्चों के जन्म के बाद महाराष्ट्र के अकोला जिले में अपनी कला यात्रा शुरू की। स्वर्गीय श्री दहाके के मार्गदर्शन में, उन्होंने तैल-चित्रकला में अपने कौशल को निखारा और बाद में जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से शार्दुल कदम के निरीक्षण में प्रशिक्षण प्राप्त किया। अपने शौक के चलते, उन्होंने मुंबई और दिल्ली में बुद्ध पर अपनी पहली एकल प्रदर्शनी आयोजित की। वर्तमान में, ‘पंचतत्व’ पर केंद्रित उनकी तीसरी एकल प्रदर्शनी ललित कला अकादमी में आयोजित की गई है। अपनी कलात्मक गतिविधियों के अलावा, मीनाक्षी को डबल-रोटी बेक करना और अपनी रचनाओं को कलात्मक पुट देना पसंद है। यात्रा के प्रति उनका प्रेम, विविध पृष्ठभूमि के लोगों से मिलना और यह विश्वास कि सीखना अनंत है, यह भावना उनको उत्साह से भर देती है।
दिल्ली के ललित कला अकादमी के गैलरी 1 और 2 में मीनाक्षी अग्रवाल की कला प्रदर्शनी 10 अक्टूबर तक देखी जा सकती है।