AICF Awards: गुकेश बने सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन, शतरंज इतिहास रचा
भारतीय शतरंज की इन ऐतिहासिक उपलब्धियों ने देश को गौरवान्वित किया है और आने वाले समय में और अधिक सफलता की उम्मीद जगा दी है

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नई दिल्ली: अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) ने गुरुवार को इतिहास रचने वाले 18 वर्षीय गुकेश डोमराजू को सम्मानित किया। गुकेश ने सिंगापुर में आयोजित विश्व शतरंज चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे युवा विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। वह विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं।
एआईसीएफ ने इस सफलता के लिए गुकेश को 1 करोड़ रुपये और उनकी सपोर्ट टीम को 50 लाख रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया।
कोनेरू हम्पी और आर. वैशाली को भी मिला सम्मान
भारत की शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी ने 2024 फिडे महिला विश्व रैपिड चैंपियनशिप जीतकर अपना दूसरा विश्व खिताब हासिल किया। हम्पी को महासंघ द्वारा 50 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। वहीं, फिडे विश्व ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली आर. वैशाली रमेशबाबू को 20 लाख रुपये का इनाम दिया गया।
भारतीय शतरंज के स्वर्णिम युग की शुरुआत
2024 भारतीय ग्रैंड मास्टर्स के लिए स्वर्णिम वर्ष साबित हुआ। उन्होंने हंगरी में आयोजित फिडे शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा। इस उपलब्धि के लिए महासंघ ने विजेताओं को 3.2 करोड़ रुपये की नकद राशि से पुरस्कृत किया।
गुकेश और हम्पी ने व्यक्त की अपनी भावनाएं
सम्मान समारोह में भावुक गुकेश ने कहा, “2024 शतरंज के लिए अद्भुत साल रहा। हमें सभी से अपार समर्थन मिला। हमें उम्मीद है कि 2025 और भी बेहतर होगा।”
कोनेरू हम्पी ने कहा, “यह पदक हमारी मातृभूमि का है। हमें गर्व है कि हमारी मेहनत को पहचाना गया। शतरंज में देश की प्रतिभा को बढ़ावा देना जरूरी है।”
एआईसीएफ ने जताया गर्व
एआईसीएफ के अध्यक्ष नितिन नारंग ने कहा, “गुकेश और हम्पी की जीत भारतीय शतरंज के भविष्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। खिलाड़ियों और उनके परिवारों के बलिदान को हम सलाम करते हैं।”
महासचिव देव पटेल ने गुकेश और हम्पी के माता-पिता के योगदान की सराहना करते हुए कहा, “खिलाड़ियों की इस सफलता के पीछे परिवार की भूमिका अहम है।”
राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान
गुकेश को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। साथ ही, उनके माता-पिता को भी विशेष सम्मान प्रदान किया गया।
भारतीय शतरंज की इन ऐतिहासिक उपलब्धियों ने देश को गौरवान्वित किया है और आने वाले समय में और अधिक सफलता की उम्मीद जगा दी है।
-ईशत कांत कपूर


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