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साहित्य अकादेमी ने प्रतिष्ठित पंजाबी लेखिका और विदुषी अजीत कौर को अपने सर्वोच्च सम्मान ‘महत्तर सदस्यता’ से सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्हें ताम्र फलक और अंगवस्त्रम् प्रदान किया गया। सम्मान समारोह में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि यह अवसर ऋषिऋण उतारने जैसा है। उन्होंने अजीत कौर के नारी उत्थान में योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनके कार्य माँ जैसी गरिमा का प्रतीक हैं।
इस कार्यक्रम में अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने अजीत कौर को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया और साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने उनकी प्रशस्ति पत्र पढ़ा।
अजीत कौर ने अपने स्वीकृति वक्तव्य में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे अपने लिए बेहद सम्मानजनक क्षण बताया।
अजीत कौर: लेखन और समाज सेवा का प्रेरणास्रोत
अजीत कौर एक प्रख्यात पंजाबी कथा लेखिका, पत्रकार, अर्थशास्त्री, सांस्कृतिक प्रचारक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। 16 नवंबर 1934 को लाहौर में जन्मीं अजीत कौर विभाजन के बाद दिल्ली आ गईं। उनके लेखन में स्पष्टता और सजीवता उन्हें सआदत हसन मंटो, राजिंदर सिंह बेदी और इस्मत चुगताई जैसे साहित्यकारों के समकक्ष खड़ा करती है।
उनकी चर्चित कहानियों में गुलबानो, बुत शिकन, महक दी मौत, फालतू औरत, सावियाँ चिरियाँ, मौत अली बाबे दी, और अपने-अपने जंगल शामिल हैं। उनकी आत्मकथा खानाबदोश उनके जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को अद्वितीय ढंग से प्रस्तुत करती है।
साहित्य और संस्कृति की सेवा
1987 में अजीत कौर ने सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर फाउंडेशन की स्थापना की, जो दक्षिण एशिया में साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का पहला प्रमुख प्रयास है। उनके लेखन पर कई विश्वविद्यालयों में शोध हुए हैं और उनकी रचनाओं का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में किया गया है।
सम्मान और उपलब्धियां
अजीत कौर को 1986 में उनकी आत्मकथा खानाबदोश के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिला। 2006 में उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया। इसके अलावा, उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं।
संवाद कार्यक्रम का आयोजन
सम्मान समारोह के बाद एक संवाद कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाबी परामर्श मंडल के संयोजक रवेल सिंह ने की। इस अवसर पर वनीता और कुलबीर बदेसरोन ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
नारी सशक्तिकरण की सशक्त आवाज़
अजीत कौर ने अपने लेखन और सामाजिक कार्यों के माध्यम से नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक उन्नति के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जीवन और लेखन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। -भूपिंदर सिंह
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