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Global Independent Schools Association: भारतीय स्कूलों से सेना में शामिल होने का आग्रह
एनईपी 2020 लक्ष्य को हासिल करने में मदद के लिए GISA ने भारत के प्राइवेट स्कूलों से एक साथ आने का आग्रह किया

दुनिया भर में शिक्षा को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए निजी क्षेत्र और सरकारी स्कूल के बीच ज्ञान साझा करने के तत्काल आह्वान के साथ इस संगठन की नई शाखा को आज लॉन्च किया गया है। ‘ग्लोबल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन’ (GISA) संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG4) को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में अपनी आवाज बुलंद करने की उम्मीद करता है. SDG4 का फोकस वर्ष 2030 तक शिक्षा पर है और इसका उद्देश्य समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना है।
यह वैश्विक संघ दुनिया भर के K-12 प्राइवेट शिक्षा संस्थानों का समन्वय और प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ उन्हें एक आवाज देना चाहता है। दरअसल यह संगठन दुनिया भर के 35 करोड़ बच्चों को शिक्षित करने वाले क्षेत्र में किसी तरह के प्रतिनिधित्व न होने की कमी को पूरा करना चाहता है। गौरतलब है कि प्राइवेट संस्थानों में साउथ एशिया के सेकेंडरी स्कूल के 52 फीसदी और लैटिन अमेरिका के प्राइमरी स्कूल के 45 फीसदी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
भारत के 3,40,000 से ज्यादा इंडिपेंडेंट (प्राइवेट) स्कूलों को ‘ग्लोबल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन’ (GISA) में शामिल होने का आग्रह किया गया है। GISA किंडरगार्टन से लेकर 12वीं कक्षा तक के प्राइवेट स्कूलों का पहला विश्वव्यापी प्रतिनिधि निकाय है, जिसके साथ विश्व भर के कई स्कूल जुड़े हुए हैं.इस संगठन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप सभी क्षेत्रों में ज्ञान साझा करके, दुनिया भर में शिक्षा के प्रावधानों में सुधार करना है।
विश्व बैंक के हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सेकेंडरी स्कूल के 50 फीसदी से ज्यादा और प्राइमरी स्कूल के 13 फीसदी छात्र प्राइवेट स्कूल में नामांकित हैं। अब भले ही वो प्राइवेट स्कूल किसी गैर-सरकारी संगठन, किसी धार्मिक निकाय, स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप, फाउंडर या बिजनेस एंटरप्राइज- द्वारा प्रोफिट के लिए चलाए जा रहे हों या फिर धर्मार्थ के लिए काम कर रहे हों।

नोर्ड एंग्लिया एजुकेशन इंडिया के प्रबंध निदेशक क्रिस्टोफर शॉर्ट ने कहा, “मुझे ‘नॉर्ड एंग्लिया एजुकेशन इंडिया’ का प्रतिनिधित्व करने और GISA इंडिया चैप्टर लॉन्च करने के लिए भारत में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा देने वाले अन्य संस्थानों के साथ जुड़ने की खुशी है।” उन्होंने आगे कहा, ” GISA हमें भारत में अंतरराष्ट्रीय स्कूलों के फायदों को प्रमोट करने के लिए एक बेहतर मंच प्रदान करता है. साथ ही इस बारे में भी बताता है कि उच्च मानकों को बढ़ावा देने और अगली पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय प्रणाली के साथ कैसे काम किया जा सकता है।”
GISA का उद्देश्य निजी शिक्षा क्षेत्र के लिए “भरोसेमंद” आवाज बनना, इनके प्रभाव को प्रदर्शित करना, दुनिया की सरकारों और वैश्विक संस्थानों के लिए एक संसाधन के रूप में काम करना, उनसे बात करना और संकट के समय में उनकी मदद करना है। यह निजी क्षेत्र के शिक्षा संस्थानों को अपने विशाल संचित ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। साथ ही, इसका उद्देश्य दुनिया भर के नीति निर्माताओं और सरकारों के साथ काम करना है ताकि हर पृष्ठभूमि के स्कूलों-चाहे वह सार्वजनिक हो, प्राइवेट या फिर कोई और उसमें मानकों को बढ़ाने में मदद मिल सके।
ग्लोबल K-12 इंडिपेंडेंट एजुकेशन के कुछ बड़े नाम इस नए निकाय को बनाने के लिए एक साथ आए हैं। GISA का कार्यकारी बोर्ड इस निकाय की रणनीतिक दिशा को आकार देगा. इसमें नॉर्ड एंग्लिया एजुकेशन के सीईओ एंड्रयू फिट्जमौरिस, जेम्स एजुकेशन के संस्थापक सनी वर्की, इंस्पायर्ड एजुकेशन के संस्थापक, अध्यक्ष और सीईओ नदीम न्सौली, कॉग्निटा के ग्रुप सीईओ फ्रैंक मासेन, एक्ससीएल (XCL)एजुकेशन के ग्रुप सीईओ ब्रायन रोगोव और जीईएमएस(GEMS) एजुकेशन के ग्रुप सीईओ डीनो वर्की शामिल है। एसोसिएशन ने दुनिया भर के संस्थानों को आकर्षित करने के लिए ‘कॉल टू एक्शन’ के साथ इसे लॉन्च किया है। इसमें सभी स्कूल शामिल है, अब चाहे वे संस्थान कम आय वाले देश में एकल कक्षा वाले निजी स्कूल हों, एक चैरिटी या फाउंडेशन द्वारा संचालित स्कूल, या एक मल्टीनेशनल चैन के भीतर संचालित स्कूल हों।
(35 करोड़ बच्चे दुनिया भर के प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं। यूनेस्को, 2021 की एजुकेशन रिपोर्ट के मुताबिक 2000 के बाद से, निजी शिक्षा विश्व स्तर पर उपभोक्ता खर्च का पांचवां सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला खंड रहा है (एलईके, 2021)। नतीजतन, इंडिपेंडेंट एजुकेशन दुनिया भर में बच्चों को शिक्षित करने में एक बड़ा खिलाड़ी बन गया है।(उच्च आय वाले देशों में 30% प्राइमरी एजुकेशन निजी संस्थानों द्वारा प्रदान की जाती है, जबकि मध्यम आय वाले देशों में यह आंकड़ा 26% है)- विश्व बैंक, 2021 की रिपोर्ट(दक्षिण एशिया में सेकेंडरी स्कूल के 52% छात्र निजी संस्थानों में जाते हैं. वहीं लैटिन अमेरिका में इन छात्रों का आंकड़ा 45% हैं)- विश्व बैंक, 2021 की रिपोर्ट(वैश्विक स्तर पर चार में से एक बच्चा निजी स्कूलों में पढ़ रहा है. इसमें पिछले तीन सालों से हर साल 3% का इजाफा हो रहा है- (एलईके, 2021 की रिपोर्ट)
GISA अपने सदस्यों की नॉलेज को साझा करने, संसाधनों को संयुक्त रूप से विकसित करने और उन्नत अनुसंधान और रिपोर्ट तक पहुंच के साथ-साथ अभिनव कार्यशालाओं और विशेष आयोजनों से लाभान्वित करने में सक्षम करेगा। इसके अलावा एसोसिएशन साल में एक सम्मेलन भी आयोजित करेगा, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा की उपलब्धि में तेजी लाने के लिए उच्च स्तरीय चर्चा की जाएगी। नीति निर्माता, क्षेत्र के प्रतिनिधि, गैर सरकारी संगठन और प्रसिद्ध विचारक इस चर्चा में शामिल होने के लिए एक साथ आएंगे।
नोर्ड एंग्लिया एजुकेशन के सीईओ और जीआईएसए के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष एंड्रयू फिट्ज़मौरिस ने कहा, “निजी स्कूल अक्सर इनोवेशन के केंद्र होते हैं जो पढ़ाने के नए तरीकों, नई पद्धतियों और तकनीकों को पेश करते हैं। GISA के साथ जुड़े सदस्य काफी अंतर्दृष्टि और सर्वोत्तम अभ्यास प्रदान कर सकते हैं, जिसे हर जगह सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को लाभ पहुंचाने के लिए साझा किया जा सकता है। शिक्षकों के प्रोफेशनल डेवलपमेंट में सहायता करने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से लेकर शिक्षण और सीखने में तकनीकों के नवीनतम उपयोग तक, हम एक साथ काम करके शिक्षा के लिए और भी बेहतर कर सकते हैं।”
GISA के समर्थन में बोलते हुए आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के एजुकेशन एंड स्किल्स निदेशक एंड्रियास श्लीचर ने कहा, ” प्राइवेट सेक्टर का सार्वजनिक भलाई के लिए अपनी आवाज़ उठाना बेहद महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में भविष्य की अर्थव्यवस्था उन लोगों के लिए मुश्किल भरी साबित होगी, जिनके पास बेहतर शिक्षा और कौशल नहीं होगा। जब तक निजी क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों- सरकारी, बिजनेस, गैर-सरकारी संगठनों – के साथ यह पता लगाने के लिए साथ नहीं आता है कि हमें एक नई पीढ़ी को कैसे शिक्षित करना चाहिए और उन्हें किस तरह की स्किल दी जानी चाहिए, तब तक मूल्यवान विशेषज्ञता खामोश रहेगी और समाधान खो जाएंगे।”

GISA ग्लोबल के भारत प्रमुख फ्रांसिस जोसेफ ने कहा, “हम भारत में GISA की शुरुआत की घोषणा करते हुए रोमांचित हैं। भारत के अकादमिक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक विविधता के समृद्ध इतिहास के साथ देश में इंडिपेंडेंट (निजी) स्कूल अगली पीढ़ी के नेताओं और इनोवेटर्स को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारत के स्वतंत्र स्कूलों के विशाल नेटवर्क का गहरा ज्ञान वैश्विक शिक्षा को बेहतर बनाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।”
फ्रांसिस जोसेफ (Francis Joseph) भारतीय शिक्षा क्षेत्र में महाराष्ट्र सरकार के साथ एक मातृभाषा शिक्षा बोर्ड, अर्थात महाराष्ट्र अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बृहन्मुंबई नगर निगम के साथ सीबीएसई/आईसीएसई/कैम्ब्रिज/आईबी स्कूलों से संबद्ध ‘फ्री ऑफ फीस’ स्कूलों की स्थापना के साथ-साथ विभिन्न शिक्षा नीति निर्णयों में भाग लेने और महाराष्ट्र राज्य के सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से मराठी भाषा पढ़ाने और सीखने के लिए बने अधिनियम- 2020 के लिए भी काम किया है.
GISA और इसके मिशन के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया संगठन की वेबसाइट www.gisa.global पर जाएं।