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भारत के नए संसद भवन के 6 गेटों का आखिर हमारी संस्कृति से क्या है कनेक्शन 

नए संसद भवन के द्वार पर जितने भी पशुओं की प्रतिमाएं लगाई गई है उनका पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है। शास्त्रों के मुताबिक ये प्रतिमाएं हमारी संस्कृति और ज्ञान के प्रतीक हैं।

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भारत के नए संसद भवन में 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के दिन कामकाज शुरू हो जाएगा. 18 सितंबर, सोमवार को पुरानी संसद भवन में विशेष सत्र के दौरान इसकी जानकारी दी गई। नए संसद भवन में प्रवेश और निकास के लिए 6 गेटों को बनाया गया है। नवनिर्मित संसद भवन के पहले 3 गेट का नाम अश्व, गज और गरुड़ गेट रखा गया है। ये तीनों गेट औपचारिक गेट है इन गेटों को दूसरे नामों से भी जाना जाएगा जैसे ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार है। इन गेटों का प्रयोग भारत के उपराष्ट्रपति, स्पीकर और प्रधानमंत्री करेंगे। इसके साथ तीन और गेट है जिनका नाम मकर गेट, शार्दूल गेट और हंस गेट है। इन गेटों का प्रयोग सांसदों और पब्लिक के द्वारा किया जाएगा।
     नए संसद भवन के द्वार पर जितने भी पशुओं की प्रतिमाएं लगाई गई है उनका पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है। शास्त्रों के मुताबिक ये प्रतिमाएं हमारी संस्कृति और ज्ञान के प्रतीक हैं।
अश्व द्वार (Ashwa Dwar)
नई संसद में दक्षिणी प्रवेश द्वार पर सतर्क अश्व यानी घोड़ा है। ये धैर्य,शक्ति और गति का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है। अश्व को भारतीय संसद की गुणवत्ता का प्रतिनिधि भी कह सकते हैं, जो कभी रुकेगी नहीं, जनहित में चलती रहेगी। अश्व की प्रतिमा ओडिशा के सूर्य मंदिर का प्रतिनिधित्व करती है।
गज द्वार (Gaja Dwar)
गज द्वार उत्तर दिशा में है। गज यानी हाथी यहां पर हाथी की दो मूर्तियां स्थापित हैं। हाथी ज्ञान, उन्नति, धन, बुद्धि और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है। गज भगवान गणेश के प्रतिनिधि हैं। नव निधियों के भी प्रतीक है। उत्तर दिशा का संबंध बुध ग्रह से है, जो उच्च बुद्धि का स्रोत है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक इन्हें समृद्धि और खुशहाली लाने वाला कहा जाता है।
गरुड़ द्वार (Garuda Dwar)
ये नई संसद का तीसरा गेट है और पूर्वी प्रवेश द्वार है। गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन हैं। ये गेट देश के लोगों और प्रशासकों की आकांक्षाओं का प्रतीक है। शास्त्रों में गरुड़ आशा, जीत की महिमा और सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक गरुड़ के उड़ते समय उनके पंखों से वेद ध्वनि निकलती है। गरूड की प्रतिमा तमिलनाडु में 18 वीं सदी के नायका काल से प्रभावित है।
मकर द्वार (Makara Dwar)
मकर द्वार नई संसद भवन जाने के लिए चौथा गेट है। मकर एक पौराणिक जलीय जीव है।  मकर विभिन्न जानवरों के शारीरिक अंगों को जोड़ता है, जो देश के लोगों के बीच विविधता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है। शास्त्रों में मकर को कामदेव की ध्वजा का चिन्ह बताया गया है. यह वरुण देव एवं मां गंगा का वाहन भी है। मकर द्वार को कर्नाटक के होयसलेसवरा मंदिर से प्रेरित बताया गया है।
शार्दूल द्वार (Shardula Dwar)
शार्दूल द्वार नई संसद का पांचवां गेट है। शार्दूल एक अन्य पौराणिक जीव के रूप में जाना जाता है, जो सबसे शक्तिशाली, सभी जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है, जो देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है। ओजस्विता और विजय का प्रतीक है। मां दुर्गा की सवारी है। शार्दूल की मूर्ति ग्वालियर के गुजरी मंदिर से प्रेरित बताई जाती है।
हंस द्वार (Hamsa Dwar)
नए संसद भवन के अंदर प्रवेश करने का छठा गेट हंस द्वार है। उत्तर पूर्व के सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर हम्सा या हंस लोगों का ध्यान खींचेगा। शास्त्रों में हंस मां सरस्वती का वाहन है। शांति और विद्या का प्रतीक है। शांति-सद्भाव का प्रतीक है। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक हंसावतार भी हुआ है। यह कर्नाटक के हम्पी स्थित विजय विताला मंदिर से प्रेरित है।
-ओम कुमार
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