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दिल्ली में प्लास्टिक उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहला प्रौद्योगिकी सम्मेलन हुआ

आने‌‌ वाले कुछ महिनों में इसी तरह के सम्मेलन मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद और बैंगलोर में आयोजित किए जाएंगे

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दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में प्लास्टिक उद्योग के विकास के लिए पहला प्रौद्योगिकी सम्मेलन संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, उद्योग के दूरदर्शी, शोधकर्ताओं और उद्यमियों सहित 400 से अधिक उद्योगों से जुड़े लोगों ने भाग लिया। प्रौद्योगिकी सम्मेलन (technology conference)का उद्घाटन भारत सरकार के रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग के सचिव अरुण बरोका के द्वारा किया गया।
     भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री मर्सी एपाओ के साथ-साथ एआईपीएमए के अध्यक्ष और गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष मयूर डी शाह, और अरविंद मेहता समेत तमाम उद्योग जगत के माननीय लोग इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।
    अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ ने प्लास्टिक सामानों के आयात प्रतिस्थापन के उद्देश्य से देश भर में प्लास्टिक उद्योग के विकास के लिए 6 प्रौद्योगिकी सम्मेलनों का आयोजन करने जा रहा है। आने‌‌ वाले कुछ महिनों में इसी तरह के सम्मेलन मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद और बैंगलोर में आयोजित किए जाएंगे।
     इन सम्मेलनों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग, भारत सरकार, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार का समर्थन प्राप्त है। इन सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य उद्योग को आयात प्रतिस्थापन में मदद करना है जिससे उन्हें “मेक इन इंडिया – मेक फॉर द वर्ल्ड” प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में मदद मिले।
     भारत में प्लास्टिक उद्योग के विकास को सुनिश्चित करने के लिए एआईपीएमए द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी गई। सालाना 3.5 लाख करोड़ रुपए के सामान का निर्माण करके प्लास्टिक उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है।
    अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ (AIPMA)ने देश में प्लास्टिक के सामानों के आयात पर एक विस्तृत अध्ययन किया है। अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक के सामान का  2022-23 में 37,500 करोड़ रुपये का आयात किया गया था। इसमें से 48% चीन से था।
     एआईपीएमए ने आयात प्रतिस्थापन के लिए 550 प्लास्टिक का चयन किया है। यह अनुमान है कि प्लास्टिक के सामान का आयात प्रतिस्थापन 37,500करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगा जिससे लगभग 4मिलियन टन कच्चे माल और 16,000+ प्लास्टिक प्रसंस्करण मशीनों की अतिरिक्त आवश्यकता पैदा होगी। जिसमें उपकरण, मोल्ड्स, जिग्स और फिक्स्चर शामिल हैं। इससे देश में 5 लाख अतिरिक्त रोजगार पैदा होंगे।
-ओम कुमार
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