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दिल्ली में बबीता सागर के ‘सागर लफ्ज़ों का’ का प्रमोशन, अंश बसोया रहे मुख्य अतिथि

यह पुस्तक प्रेम, हानि और जीवन के सार्वभौमिक विषयों पर प्रकाश डालती है, जो बबीता सागर की विचारोत्तेजक और हार्दिक कविता के माध्यम से पाठकों से जुड़ने की गहन क्षमता को प्रदर्शित करती है

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-ओमकुमार 
दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका बबीता सागर ने अपने प्रशंसित कविता संग्रह ‘सागर लफ्ज़ों का’ (खंड 1 और 2) के प्रचार के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम के माध्यम से इस पुस्तक को व्यापक दर्शकों से परिचित कराना और साहित्य जगत में सागर के योगदान को पहुंचना था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जाने-माने कवि अंश बसोया भी शामिल हुए।
     ‘सागर लफ्ज़ों का’ एक उल्लेखनीय द्विभाषी संग्रह है जिसमें हिंदी और अंग्रेजी दोनों में कविताएँ हैं, जो इसे विविध दर्शकों के लिए सुलभ बनाती हैं। ड्रीम पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक को रोहित आर्य के मार्गदर्शन में प्रकाशित किया गया है। यह पुस्तक प्रेम, हानि और जीवन के सार्वभौमिक विषयों पर प्रकाश डालती है, जो बबीता सागर की विचारोत्तेजक और हार्दिक कविता के माध्यम से पाठकों से जुड़ने की गहन क्षमता को प्रदर्शित करती है।
     चंडीगढ़ में रहने वाली बबीता सागर चंडीगढ़ और पंजाब में लेखन समुदाय की सक्रिय सदस्य रही हैं। उनकी साहित्यिक यात्रा को कई प्रशंसाओं द्वारा चिह्नित किया गया है, जिसमें ‘सागर लफ्ज़ों का’ खंड 2 को कई संगठनों द्वारा चुना गया और बेस्टसेलर का दर्जा प्राप्त किया गया और इस साल की शुरुआत में दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में भी इस पुस्तक की अच्छी बिक्री हुई और लोगों ने इस पुस्तक को पसंद भी किया।
     कवयित्री और लेखिका बबीता सागर का लेखिका होने के अलावा एक कुशल कलाकार, फैशन डिजाइनर और एक पूर्व एनसीसी कैडेट भी हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभाओं को दर्शाती हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों से लेकर पंजाब स्कूल एसर परियोजना में हेल्पडेस्क समन्वयक के रूप में सेवा करने तक उनके विविध अनुभवों ने उनकी कविता को काफी प्रभावित किया है।
     लेखिका बबीता सागर ने मीडिया से बात करते हुए अपनी बात रखी और अपने काम को बढ़ावा देने की इच्छा पर जोर दिया, बल्कि साहित्यिक क्षेत्र में नए लेखकों को प्रेरित करने और नए अवसर प्रदान करने भी जोर दिया। इस कार्यक्रम में ‘सागर लफ्ज़ों का’ से चयनित कविताओं का वाचन भी किया गया। जिससे उपस्थित लोगों को सागर के काम की गीतात्मक सुंदरता का प्रत्यक्ष अनुभव करने का मौका मिला। इसके बाद एक इंटरैक्टिव सत्र हुआ, जहां बबीता सागर ने दर्शकों के साथ-साथ अपनी कविता के पीछे की प्रेरणाओं और दो भाषाओं में लिखने की प्रक्रिया पर चर्चा की।
     ‘सागर लफ्ज़ों का’ बबीता सागर के काव्य कौशल और भाषाई सीमाओं को पार करने की उनकी क्षमता का एक वसीयतनामा है। संग्रह को इसकी भावनात्मक गहराई, विशद कल्पना और हिंदी और अंग्रेजी के सहज सम्मिश्रण के लिए सराहा गया है, जो पाठकों को एक अनूठा और समृद्ध अनुभव प्रदान करता है।
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