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One Nation, One Election: मोदी सरकार की मुहर, राज्यों की सहमति और संविधान संशोधन अनिवार्य

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी

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-ओम कुमार
देश में एक देश एक चुनाव को आज नरेन्द्र मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके चेयरमैन देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। रामनाथ कोविंद ने अपनी रिपोर्ट इसपर आज मोदी कैबिनेट को सौंपी उसके बाद कैबिनेट ने उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया। हालांकि इसके बाद आगे का सफर आसान नही होने वाला है। इसके लिए संविधान संशोधन और राज्यों की मंजूरी भी जरूरी है, जिसके बाद ही इसे लागू किया जा सकता है।
     एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को आज नरेंद्र मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। ऐसा माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में ला सकती है। हालांकि, ये संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है। 2024 के आम चुनाव में BJP ने वन नेशन वन इलेक्शन का वादा अपने घोषणा पत्र में किया था।
     जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, रिपोर्ट के मुताबिक पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। इस समिति ने आगे सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्य के विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे। वर्तमान में, राज्य के विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग कराए जाते हैं।
     वंही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से देश को वन नेशन वन इलेक्शन की ओर ले जाने का प्रयास कर रहें हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वन नेशन वन इलेक्शन पर कहा था कि “मैं सभी से एक राष्ट्र एक चुनाव के संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध करता हूं, जो समय की मांग है। मैं हमेशा कहता हूं कि चुनाव सिर्फ तीन या चार महीने के लिए होने चाहिए। पूरे 5 साल राजनीति नहीं होनी चाहिए। इससे चुनावों का प्रबंधन करने वाले खर्च में कटौती होगी।
     पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था। इनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था। जबकि 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया था। 15 ऐसी पार्टियां थीं जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।
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