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पर्यावरणविद् लोकेंद्र ठक्कर ने “पर्यावरण, पत्रकारिता और हम” विषय पर एक कार्यक्रम में स्वर्गीय पुष्पेंद्र पाल सिंह (PP Sir) की जीवनशैली और सोच पर चर्चा करते हुए सस्टेनेबल जीवन के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा, “सबसे टिकाऊ टीशर्ट वही है जो आप पहले से पहन रहे हैं। सस्टेनेबल जीवनशैली वही है जिसमें हम कम से कम संसाधनों का प्रयोग करें, और पीपी सर इसका जीवंत उदाहरण थे।”
लोकेंद्र ठक्कर ने पीपी सर के बारे में कहा कि वे सिर्फ सिद्धांतों पर नहीं बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन में भी सस्टेनेबल जीवनशैली का पालन करते थे। उन्होंने कहा, “मैंने कभी उन्हें अलग-अलग या महंगे ब्रांडेड कपड़ों में नहीं देखा। वे सादगी और टिकाऊपन का प्रतीक थे। हमें उनसे सीखने की जरूरत है कि कैसे कम संसाधनों में भी संतुलित और स्थिर जीवन जिया जा सकता है।”
कागज और संसाधनों का कुशल उपयोग
ठक्कर ने पीपी सर की कागज और अन्य संसाधनों के प्रति जागरूकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “पीपी सर कागज का सही इस्तेमाल करते थे। बैक ऑफ द इनवेलेप कैल्कुलेशन की बात करते हुए उन्होंने समझाया कि पहले लोग लिफाफों का दोबारा इस्तेमाल करते थे, लेकिन आजकल लोग टिश्यू पेपर और अन्य संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करने लगे हैं।”
तकनीक और पत्रकारिता की नई चुनौतियाँ
ठक्कर ने बताया कि तकनीक ने पत्रकारिता को आसान बनाया है, लेकिन इसके साथ ही निष्पक्षता बनाए रखना अब और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा, “पहले पर्यावरण पर हल्की रिपोर्टिंग होती थी, लेकिन अब इसमें गहराई आई है। हालाँकि, पत्रकारों के लिए निष्पक्षता और सटीकता बनाए रखना बहुत मुश्किल हो गया है। तकनीक की मदद से रिपोर्टिंग में सुधार हुआ है, लेकिन इसके दुरुपयोग से भी कई चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।”
उन्होंने कहा कि पर्यावरण और पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्रों में ईमानदारी और निष्पक्षता से काम करना आज के समय में एक बड़ी चुनौती है। “आप क्या लिखते हैं और कैसे लिखते हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण हो गया है,” ठक्कर ने कहा।
पीपी सर की यादें और उनके मूल्य
कार्यक्रम में पीपी सर के पुराने विद्यार्थी, सहयोगी और परिवार के सदस्य उपस्थित थे। वरिष्ठ पत्रकार पंकज शुक्ला ने उन्हें “अजातशत्रु” की संज्ञा दी, यानी ऐसा व्यक्ति जिसका कोई शत्रु न हो। उन्होंने कहा, “पीपी सर ने हमें अक्षरों को पढ़ने और समझने की अद्भुत क्षमता दी। वे न केवल एक उत्कृष्ट पत्रकार थे बल्कि एक गहरे इंसान भी थे, जो सादगी में विश्वास करते थे।”
वरिष्ठ पत्रकार संदीप कुमार ने कहा, “पीपी सर में समय की परख और लोगों की मदद करने की अद्भुत क्षमता थी। वे बिना किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के दूसरों के लिए काम करते थे। उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे अपनी निजी पसंद-नापसंद को परे रखकर प्रोफेशनल जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।”

पीपी सर की छोटी बहन योगिता सिंह ने भावुक होकर बताया, “भले ही वह मेरे बड़े भाई थे, लेकिन उन्होंने मुझे बेटी की तरह पाला। वे कभी अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखते थे। बुखार में भी वे काम में लगे रहते थे और कहते थे, ‘मैं ठीक हूँ।’ अब मुझे लगता है कि उनमें कोई अद्भुत शक्ति थी, जैसे स्वामी विवेकानंद की।”
पीपी सर का जीवन उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा, और उनकी सस्टेनेबल जीवनशैली से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
–मनीष चंद्र मिश्र
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