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रेवतदान एक क्रातिकारी कवि: के.एल. श्रीवास्तव
रेवतदान चारण जन्म शताब्दी राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ, रविवार को गोष्ठी का समापन होगा
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राजस्थानी के कालजयी कवि रेवतदान चारण जन्म शताब्दी राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ शनिवार को जोधपुर में हुआ। साहित्य अकादमी एवं जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि जेएनवीयू के कुलपति प्रोफेसर के.एल. श्रीवास्तव थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि रेवतदान चारण गरीब, मजदूर एवं किसान के अधिकारों की बात करने वाले मानवीय संवेदना से ओतप्रोत एक क्रांतिकारी कवि थे। उनकी कविता में विश्व शांति का सकारात्मक संदेश है। आगे उन्होंने कहा कि कवि रेवतदान चारण आधुनिक राजस्थानी साहित्य के एक क्रांतिकारी कलमकार थे। जिन्होंने आजादी के समय राजस्थानी साहित्य को नई दिशा और दशा प्रदान की थी।
इस अवसर पर ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर अर्जुनदेव चारण ने कहा कि रेवतदान चारण के कविता की लय में मनुष्य की श्वास है।उन्होंने कहा कि देश की आजादी के संघर्ष की कविता लिखने वाले कवि रेवतदान चारण की कविता माटी के जीवन का राग है। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रतिष्ठित कवि-समालोचक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि आम आदमी की पीड़ को अपनी कविता में लिखने वाले प्रगतिशील कलमकार रेवतदान चारण एक कालजयी कवि है जिन्होंने आधुनिक राजस्थानी कविता को भारतीय भाषाओं के समतुल्य खड़ा किया। स्वागताध्यक्ष के रूप में साहित्य अकादमी के सचिव के.श्रीनिवास राव ने कवि रेवतदान चारण को एक ऐसा लोक कल्याणकारी कवि बताया जिन्होंने परम्परागत राजस्थानी एवं आधुनिक नई कविता का समन्वय कर राजस्थानी काव्य को नवी पहचान दी। इस अवसर पर साहित्य अकादमी से प्रकाशित एवं सोहनदान चारण संपादित पुस्तक ‘रेवतदान चारण री टाळवी कवितावां’ का अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया।
उद्घाटन सत्र के अलावा आज का प्रथम साहित्यिक सत्र ख्यातनाम रचनाकार मदन सैनी की अध्यक्षता में और द्वितीय साहित्यिक सत्र कवि-आलोचक नंद भारद्वाज की अध्यक्षता में आयोजित किए गए। रविवार को गोष्ठी का समापन होगा।