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प्रधानमंत्री संग्रहालय, नई दिल्ली में साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित ‘विष्णुकांत शास्त्री रचना-संचयन’ के लोकार्पण समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने की। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुनीश चावला, रचना-संचयन के संपादक डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, और अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ. कुमुद शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
समारोह का शुभारंभ और स्वागत
कार्यक्रम की शुरुआत में माधव कौशिक ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, डॉ. त्रिपाठी और सचिव श्री चावला का स्वागत अंगवस्त्रम और अकादमी के प्रकाशन भेंट कर किया गया।
मुख्य अतिथि का संबोधन

धर्मेंद्र प्रधान ने रचना-संचयन का लोकार्पण करते हुए विष्णुकांत शास्त्री को भारतीय साहित्य और संस्कृति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “शास्त्री जी भारतीय दर्शन, साहित्य, और काव्य की महान परंपरा के संवाहक थे। उनकी विद्वत्ता, विनयशीलता और विश्वसनीयता ने उन्हें हर वर्ग में लोकप्रिय बनाया।” उन्होंने यह भी कहा कि शास्त्री जी का योगदान शिक्षा, साहित्य, समाज, संस्कृति, अध्यात्म और राजनीति सभी क्षेत्रों में अतुलनीय रहा है।
उन्होंने अपने संस्मरण साझा करते हुए बताया कि पहली बार संसद भवन देखने का अवसर उन्हें शास्त्री जी के साथ मिला। आगे उन्होंने कहा, “यह मात्र पुस्तक का लोकार्पण नहीं, बल्कि एक उच्च विचारधारा का उत्सव है। नई शिक्षा नीति भी शास्त्री जी जैसे विचारकों की भारतीयों के प्रति वचनबद्धता का परिणाम है।”
संपादक का वक्तव्य
डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा, “आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने साहित्य और राजनीति को एक साथ जोड़ने का कार्य किया। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था, और उनकी रचनाएं भारतीय जीवन मूल्यों और परंपराओं का सजीव चित्रण हैं।”
अकादमी अध्यक्ष का वक्तव्य
माधव कौशिक ने कहा, “अकादमी की रचना-संचयन श्रृंखला में उन्हीं साहित्यकारों को शामिल किया जाता है जिन्होंने भारतीय आत्मा को समझा है। यह कार्य हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोने और आगे बढ़ाने का माध्यम है।”
उपसंहार
कार्यक्रम के समापन पर अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ. कुमुद शर्मा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने भारतीय जीवन मूल्यों को पुनः स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उनकी रचनाएँ हमारे समाज और साहित्य के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।”
इस आयोजन ने साहित्य, संस्कृति और विचारधारा की नई ऊंचाइयों को छुआ, और विष्णुकांत शास्त्री जैसे महान व्यक्तित्व को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की।
-भूपिंदर सिंह
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