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BRICS LITERATURE FORUM 2024: कज़ान में भारत की प्रमुख भूमिका और महत्वपूर्ण चर्चाएं
इस सम्मेलन ने ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक और साहित्यिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है
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-भूपिंदर सिंह
कज़ान में बुधवार, 12 सितंबर 2024 को शुरू हुए ब्रिक्स साहित्य सम्मेलन 2024 में गुरुवार और शुक्रवार को भी साहित्यिक गतिविधियाँ जारी रहीं। सम्मेलन के दूसरे दिन, 12 सितंबर को, भारतीय प्रतिभागियों के रूप में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और सचिव के. श्रीनिवासराव ने भाग लिया।
गुरुवार को हुए कार्यक्रमों में, माधव कौशिक की हिंदी कविता पुस्तक का एक विशेष प्रस्तुतीकरण किया गया, जिसमें पुस्तक का रूसी अनुवाद सोनू सैनी द्वारा प्रस्तुत किया गया। यह कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया था, और इसका संचालन के. श्रीनिवासराव और अनास्तासिया स्ट्रोकिना ने किया। इस दिन का दूसरा प्रमुख कार्यक्रम “अनुवाद के लिए कौन जिम्मेदार है?” पर गोलमेज चर्चा थी, जिसमें विभिन्न प्रतिष्ठित विद्वानों ने अनुवाद के महत्व और जिम्मेदारी पर अपने विचार साझा किए।
13 सितंबर 2024 को सम्मेलन का पहला सत्र “ब्रिक्स साहित्य का भविष्य” था, जिसमें साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने ब्रिक्स देशों के साहित्यिक सम्मेलनों की भूमिका और महत्व पर बात की। उन्होंने बताया कि इन सम्मेलनों के माध्यम से सांस्कृतिक सहयोग को कैसे मजबूत किया जा रहा है और भाषाओं के आपसी अनुवाद में वृद्धि हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, वैश्विक संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सुधार की उम्मीद है।
दिन के अंतिम सत्र में “इंटरनेट युग में पुस्तक मेलों पर चर्चा” में, के. श्रीनिवासराव ने डिजिटल युग में पुस्तक मेलों के आयोजन से मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के प्रमुख पुस्तक मेलों के साथ-साथ फ्रैंकफर्ट, शारजाह और ग्वाडलजारा जैसे अंतर्राष्ट्रीय मेलों के उदाहरण प्रस्तुत किए। अन्य प्रतिभागियों ने इस चर्चा की सराहना की और कहा कि विचारों के इस खुले आदान-प्रदान से सभी देशों का साहित्यिक समुदाय उपयुक्त सुधार की ओर अग्रसर हो सकता है।
इस सम्मेलन ने ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक और साहित्यिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है, और सभी प्रतिभागियों ने भविष्य में और अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आशा व्यक्त की है।
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