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पुराने संसद भवन से विदा लेना एक भावुक पल है -पीएम मोदी
सांसदों के लिए संसद मंदिर की तरह है। हमने राष्ट्र का काम कभी रुकने नहीं दिया। इससे जनता का सदन में विश्वास बढ़ता गया। यह जनभावनाओं के अभिव्यक्ति का भवन है। हम इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। इस संसद के लिए पत्रकारों का काम शानदार रहा। पूर्व स्पीकरों का भी अहम योगदान रहा। सदन के कर्मचारियों का भी खास योगदान रहा। इस सदन को कई राष्ट्राध्यक्षों ने संबोधित किया है

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संसद का विशेष सत्र आज 18 सितंबर से शुरू हो गया है। लोकसभा के पहले दिन के सत्र के शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में मौजूद संसद सदस्य को सम्बोधित करते हुए कहा कि “आजादी के बाद यह संसद भवन बना है। इसके निर्माण में पसीना देश का लगा। हम ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। लेकिन संसद का पुराना भवन प्रेरणास्रोत बना रहेगा। ये सदन हम सबकी साझी विरासत है। आगे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 75 सालों में यहां कई सपने साकार हुए हैं। इस दौरान 600 महिलाओं ने इस सदन की गरिमा बढ़ाई है। प्रधानमंत्री ने नए संसद में जाने को लेकर कहा कि पुराना घर छोड़ना काफी भावुक पल है।”
दिल्ली में हुए जी-20 की सफलता पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “जी-20 की सफलता देशवासियों की सफलता है। यह किसी व्यक्ति की सफलता नहीं है। जी-20 किसी दल की सफलता नहीं है। जी-20 की सफलता पूरे देश की सफलता है। भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी यूनियन को जी-20 का स्थाई सदस्य बनाया गया। आज भारत के गौरव की चर्चा विश्वभर में हो रही है। भारत विश्व मित्र के रूप में उभरा है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन में अपने सम्बोधन में कहा कि “सांसदों के लिए संसद मंदिर की तरह है। हमने राष्ट्र का काम कभी रुकने नहीं दिया। इससे जनता का सदन में विश्वास बढ़ता गया। यह जनभावनाओं के अभिव्यक्ति का भवन है। हम इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। इस संसद के लिए पत्रकारों का काम शानदार रहा। पूर्व स्पीकरों का भी अहम योगदान रहा। सदन के कर्मचारियों का भी खास योगदान रहा। इस सदन को कई राष्ट्राध्यक्षों ने संबोधित किया है। पुराने संसद भवन से विदा लेना एक भावुक पल है। पत्रकारों के लिए भी ये पल भावुक होगा।”
भारत के नए संसद भवन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन में कहा कि “संसद के 75 साल की यात्रा नए मुक़ाम से शुरू हो रही है। नए स्थान पर उस यात्रा को आगे बढ़ाना है। नए स्थान से नई ऊर्जा, नया विश्वास, 2047 में देश को विकसित राष्ट्र बनाकर रखना है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन में कहा, “ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था, लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों के लगा था। इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है। बीते 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें खास योगदान दिया है। समय इसका गवाह रहा है। हम भले ही नए भवन में जाएंगे, लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।”
जानकारी के लिए बता दें कि कल यानि 19 सितंबर को नए संसद भवन में विशेष संसद सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होगी।
-ओम कुमार





