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हनुमान भक्त मारुति राम बाबा लंदन में ब्रह्मलीन हो गए
भारत में लगने वाले कुंभ मेले हो या अन्य सांस्कृतिक, धार्मिक आयोजन राम बापा बिना किसी भेदभाव के मानवता की जीवन पर्यंत सेवा करते रहे।

विश्व में राम नाम की अलख जगाने वाले अनेक देशों में श्री राम सीता लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियों को मंदिरों में स्थापित कर भारतीय सनातन संस्कृति को प्रतिष्ठित करने वाले हनुमान भक्त मारुति राम बाबा 31 जनवरी 2023 को लंदन में ब्रह्मलीन हो गए। रामबाबा जी की पंच भौतिक देह को उनके परिजनों और भक्तों ने कीर्तन, भजन करते हुए 4 फरवरी 2023 को लंदन (London)में अग्नि को समर्पित कर दिया। राम बाबा जी की बेटी भारती बहन के अनुसार बाबा 102 वर्ष की आयु में भी चुस्त-दुरुस्त और सक्रिय थे। उन्होंने प्रत्येक रविवार को लंदन के किसी न किसी घर में, मंदिर में अपने अंतिम समय तक हनुमान चालीसा और राम नाम कीर्तन नहीं छोड़ा।
राम बाबा जिनका बचपन का नाम मगन भाई था, उनका जन्म गुजरात (GUJARAT) के जीरा ग्राम में सन 1920 में हुआ. 7 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने महाराज सेवादास जी से सन्यास लेने का आग्रह किया परंतु सेवादास जी के आदेशानुसार 1948 में सद्गुरु हीरजी बापा से उन्होंने दीक्षा ली और उन्हीं की आज्ञा अनुसार पूरी दुनिया में राम नाम प्रचार में जीवन पर्यंत लगे रहे। भारत में लगने वाले कुंभ मेले हो या अन्य सांस्कृतिक, धार्मिक आयोजन राम बापा बिना किसी भेदभाव के मानवता की जीवन पर्यंत सेवा करते रहे। 1966 में अमेरिका में जहां उन्होंने राम नाम का प्रचार किया वहीं इंग्लैंड, अफ्रीका, जर्मनी, वेस्टइंडीज, कनाडा, स्पेन और अन्य अनेक देशों में श्री राम सीता लक्ष्मण और हनुमान जी के विग्रहों को स्थापित कर सनातन संस्कृति की ध्वजा को स्थापित किया।
हनुमान जी के परम भक्त और पूरी दुनिया में भगवान श्री राम हनुमान जी के दिव्य विग्रहों को मंदिरों में स्थापित कर श्रीरामचरितमानस के प्रचार-प्रसार में उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। ऐसे हनुमान जी के परम भक्त बाबा मारुति राम जी का प्रभु में लीन होना भारतीय संस्कृति ही नहीं अपितु समूची मानवता के लिए अपूरणीय रिक्तता और क्षति है।
रामबाबा जी जिन्हें लोग प्रेम से राम बापा कहते थे उन्होंने भोजन, वस्त्र, दवाई अथवा अन्य प्रकार से शिक्षा दान के द्वारा, बेटियों के कन्यादान के द्वारा किसी जाति, रंग और ऊंच-नीच के भेदभाव बिना निरंतर अपने उम्र के अंतिम क्षणों तक जीवन पर्यंत मानवता की सेवा में लगे रहे। भारत में आयोजित होने वाले कुंभ मेले हो या प्रयागराज में लगने वाला माघ मेला बाबा जी का भंडारा और सेवा भक्तों, साधु-संतों और सामाजिक कार्य करने वाली अनेक संस्थाओं को वे हर प्रकार की सेवा देकर धर्म के कार्यों में निरंतर प्रेरित करते रहते थे। वे कहते थे मैं तो हनुमान जी का सेवक हूं यह सारे कार्य तो वही करते हैं। उन्होंने कभी किसी कार्य का स्वयं श्रेय नहीं लिया। अपने को हमेशा सेवक ही कहते रहे।
लंदन में 6.फरवरी 2023 को हुई प्रार्थना सभा में देश-विदेश के गणमान्य व्यक्तित्वों ने अपनी श्रद्धांजलि और संदेश भेजे। बाबाजी की अस्थियां लंदन से भारत लाकर और संतों की देखरेख में मां गंगा को समर्पित की जाएगी। साथ ही भारत की विभिन्न तीर्थ नगरियों के साथ-साथ दिल्ली और हरिद्वार में श्रद्धांजलि के लिए साधु संतों की ओर से कार्यक्रम किए जाएगें।
उनके गोलोकगमन के अवसर पर विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के श्रद्धांजलि संदेश में ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Prime Minister of Great Britain Rishi Sunak) ने कहा कि इंग्लैंड (England) का पहला हिंदू मंदिर 1970 में उनके अथक सहयोग और परिश्रम से बना। उन्होंने कहा कि निस्वार्थ सेवा के प्रति उनका समर्पण आनेवाले पीढियों के लिए प्रेरणादाई है।
हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स लंदन के डालर पोपट ने अपने संदेश में कहा कि राम बापा का नाम पूर्वी अफ्रीका और इंग्लैंड में हिंदुत्व के बीजारोपण के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने मानवता की सेवा बिना किसी रंगभेद, जातिभेद और ऊंच-नीच के की।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष परम पूज्य स्वामी श्री गोविंद देव गिरि जी ने अपने संदेश में कहा कि राम बाबा का नाम उन्होंने अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी श्री सत्यमित्रानंद जी से सुना था। राम बाबा भगवान श्रीराम का चिंतन करते थे, अयोध्या धाम का चिंतन करते थे, भारतीय संस्कृति का चिंतन करते थे और आज अयोध्या के सरयू तट, अयोध्या धाम से मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भगवान श्रीराम ने उन्हें अपने धाम बुला लिया।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने अपने संदेश में कहा कि भारत और विश्व जगत में सनातन वैदिक हिंदू धर्म और संस्कृति के प्रसार और विस्तार में बाबाजी की उल्लेखनीय भूमिका रही है।
अखिल भारतीय संत समिति के निदेशक मंडल के अध्यक्ष और निर्मल पंचायती अखाड़े के श्री महंत श्री ज्ञान देव सिंह जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि राम बाबा भारत के साधु-संतों और संस्कृति के सेवक थे। वे जब भी भारत आते थे तो विरक्त मंडली के साथ, भागवतानंद जी के साथ धर्म का प्रचार-प्रसार करते। समाज इनका बहुत आदर सम्मान करता था और और देश-दुनिया में हनुमान चालीसा के माध्यम से राम नाम का प्रचार-प्रसार करते थे। वो भारत भूमि की मिट्टी के संत थे। संत समाज का उनके परिवार से आग्रह है कि उनकी अस्थियों को भारत लाकर समस्त साधु, संत और समाज मां गंगा को अर्पित करें। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निर्वाणी अखाड़े के महामंत्री महंत श्री रविंद्र पुरी जी ने कहा कि राम बापा कुंभ मेले में ही नहीं अपितु पूरे जीवन पर्यंत साधु संतों, महंतों और जरुरतमंदों की सेवा में निस्वार्थ भाव से लगे रहते थे। उनके जाने से संतो ने सनातन संस्कृति का एक सेवक और पुरोधा खो दिया है।
परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी श्री चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि 45 वर्ष पूर्व राम बाबा ने उन्हें वहां बुलाकर समाज के बीच लेकर गए जहां बाबाजी के साथ उन्होंने हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का सत्संग किया और वहां की दिव्य दिवाली को वहां सब के साथ मनाया। बाबा जी के अथक प्रयास और मार्गदर्शन से अनगणित लोगों का हित हुआ है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेगी।
अहिंसा विश्व भारती के आचार्य लोकेश मुनि जी महाराज ने कहा कि उन्होंने देह अवश्य त्यागी है परंतु वह आज भी हमारे बीच है। हमारे चिंतन में, हमारी स्मृतियों में, उनकी मानवता की सेवा का मार्गदर्शन सदा निरंतर हमें गतिशील बनाए रखेगा, उनकी उपस्थिति का एहसास कराता रहेगा। हनुमान चालीसा के द्वारा उन्होंने दुनिया में रहने वाले समस्त भारतीयों को भारत और भारतीय संस्कृति के एक साथ जोड़ा। वस्तुत: उनका देह त्याग कर जाना एक देव पुरुष का देवलोक के लिए गमन है। दिव्य आत्माएं जर्जर शरीर को छोड़ कर नए सृजन के लिए परमात्मा में लीन होती है और फिर पुनः ईश्वरीय कार्य के लिए, नए सृजन के साथ जन्म लेती है। यही भारतीय संस्कृति की महानता और सिद्धांत है।
पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि राम बापा ने यूरोपीय देशों और विशेषकर इंग्लैंड में आने वाले पूज्य संत गणों को आमंत्रित कर भारतीय सनातन संस्कृति को प्रतिष्ठित किया है और स्वामी रामदेव का पतंजलि का पहला इंग्लैंड का कार्यक्रम बाबा जी की पहल से संभव हुआ था।
भारत साधु समाज के प्रवक्ता स्वामी ऋषिश्वरानंद जी ने कहा कि बाबाजी के जाने से संत समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। श्रद्धांजलि और संदेश देने भेजने वालों में जूना अखाड़ा आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद गिरि जी महाराज, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष स्वामी श्री गोविंद देव गिरि जी महाराज, अखिल भारतीय संत समिति के निदेशक मंडल के अध्यक्ष एवं श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के श्री महंत श्री स्वामी ज्ञानदेव सिंह जी महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निर्वाणी अखाड़ा के महामंत्री स्वामी श्री रविंद्र पुरी जी महाराज, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी श्री चिदानंद सरस्वती जी महाराज, अहिंसा विश्व भारती के आचार्य लोकेश मुनि जी महाराज, भारत साधु समाज के प्रवक्ता एवं चेतन ज्योति आश्रम हरिद्वार के परमाध्यक्ष स्वामी श्री ऋषिश्वरानंद जी महाराज, गुरुद्वारा डेरा संत पुरा दिल्ली के महंत एवं अखिल भारतीय संत समिति दिल्ली प्रदेश के महामंत्री महंत ओंकार सिंह जी महाराज, प्रसिद्ध राम कथा व्यास मुरारी बापू जी, भागवत कथा व्यास रमेश भाई ओझा एवं अन्य अनेक देश-विदेश के गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी श्रद्धांजलि और संवेदना संदेश भेजे।