मेरे अलफ़ाज़/कवितासाहित्य

साहित्य अकादमी द्वारा अस्मिता कार्यक्रम का आयोजन, वरिष्ठ कथाकारों ने प्रस्तुत कीं कहानियाँ

कार्यक्रम में भारी संख्या में लेखक एवं पत्रकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया

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साहित्य अकादमी द्वारा बुधवार को अस्मिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार चंद्रकांता ने की और सुमति सक्सेना लाल, सुनीता एवं वंदना गुप्ता ने अपनी कहानियाँ प्रस्तुत कीं।
     सर्वप्रथम सुनीता ने ‘लेबर चौक’ कहानी का पाठ किया, जिसमें शिक्षित से लेकर किसानों की बेरोजगारी का जिक्र किया गया था। लोकयथार्थ और लोकभाषा का सौंदर्य कहानी का विशेष पक्ष था।
     वंदना गुप्ता ने अपनी कहानी ‘राष्ट्रपति भवन के कंकड़’ प्रस्तुत की। कहानी भूमि अधिग्रहण से उपजी समस्याओं पर केंद्रित थी।
     सुमति सक्सेना लाल ने अपनी कहानी ‘ऋणबद्ध’ प्रस्तुत की, जिसमें संतान के अपने माता-पिता के प्रति कर्त्तव्यों की पृष्ठभूमि थी। लेकिन पुत्र का सवाल था कि माता-पिता के भी तो कुछ कर्त्तव्य होते हैं?।
     कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही चंद्रकांता ने कश्मीर के आतंकवाद पर लिखी अपनी कहानी ‘आवाज़’ प्रस्तुत की। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में उन्होंने कहा कि कई आलोचक जब आधे अधूरे आंकलन के बाद किसी लेखक या लेखिका को किसी खास घेरे में बाँधकर फतवे जारी करते है तो वे मर्यादा के अनुकूल नहीं होता है। लेखन कार्य को किसी खास साँचे में नहीं ढाला जा सकता। वह स्वयं ही अपने परिवेश और अनुभवों से उत्पन्न होता है। कार्यक्रम में भारी संख्या में लेखक एवं पत्रकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया।
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