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Parliament Special Session: संसद सत्र के पहले दिन इतिहास से लेकर वर्तमान तक की चर्चा हुई
संसद सत्र का पहला दिन पुरानी संसद भवन में आयोजित हुआ वंही सत्र के दूसरे दिन 19 सितंबर को नए संसद भवन में आयोजित होगा इसके बाद से संसद सत्र नए संसद भवन में आधिकारिक तौर आयोजित किए जाएंगे

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आज संसद के विशेष सत्र की शुरुआत हुई। संसद सत्र का पहला दिन पुरानी संसद भवन में आयोजित हुआ वंही सत्र के दूसरे दिन 19 सितंबर को नए संसद भवन में आयोजित होगा इसके बाद से संसद सत्र नए संसद भवन में आधिकारिक तौर आयोजित किए जाएंगे। पुराने संसद भवन में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के सदन में अपना सम्बोधन देते हुए संसद के इतिहास से लेकर वर्तमान तक की चर्चा की।
वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने पुराने संसद भवन से नए संसद भवन में जाने को लेकर और संसद के विशेष सत्र पर अपना वक्तव्य रखा।

कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर ने कहा कि “यह इमारत यादों से भरी है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा, यह इतिहास से भरा है। यह दुख का क्षण है। आशा है कि नए भवन में सांसदों के लिए अच्छी सुविधाएं होंगी…मुझे लगता है कि हम सभी इस बात को लेकर असमंजस में थे कि यह सत्र क्यों जरूरी था, बहुत सारे बिल जिनके बारे में बात हो रही है, उन्हें बाद में पेश किया जा सकता था। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार एक भवन से दूसरे भवन में स्थानांतरण का एक विशेष क्षण बनाना चाहती थी और उन्होंने इसे एक विशेष तरीके से करने की कोशिश की है और हम इसे समझ सकते हैं।”

कांग्रेस सांसद और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने संसद के विशेष सत्र और नए संसद भवन पर कहा कि “अभी भी हम छिपे हुए एजेंडों का इंतजार कर रहे हैं। छिपे हुए एजेंडे को आने दीजिए, तभी हम फैसला करेंगे। वैसे भी, हम पूरा सहयोग कर रहे हैं क्योंकि हमें अपने भारतीय संसदीय लोकतंत्र की 75 साल की यात्रा पर बहुत गर्व है।”

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राजीव शुक्ला ने नए संसद भवन और संसद के विशेष सत्र पर कहा कि “पुराने स्थान का अपना महत्व है। यही वह स्थान हैं जहां से हमें आजादी मिली और जवाहरलाल नेहरू का ऐतिहासिक भाषण हुआ था। संविधान परिषद की बैठक भी यहां हुई थी। नई संसद बनी है, हम उसमें भी जाएंगे। इस (पुरानी) संसद का क्या उपयोग हो जो देश हित में अनवरत रहे और इसका लोकहित में कुछ ना कुछ उपयोग होना चाहिए। यह बस इमारत नहीं रह जानी चाहिए। केंद्र सरकार से मांग है कि इस संसद का संसदीय कार्य के लिए कितना उपयोग हो, वह भी देखा जाए।”
-ओम कुमार





