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अधीर रंजन चौधरी का ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की 8 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने से इंकार

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिख कर कहा कि "उन्हें मीडिया और नोटिफिकेशन से पता चला है कि उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिख कर कहा कि “उन्हें मीडिया और नोटिफिकेशन से पता चला है कि उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है।
     कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने पत्र में आगे कहा कि “मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसके संदर्भ की शर्तें उसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है। इसके अलावा, आम चुनाव से कुछ महीने पहले संवैधानिक रूप से संदिग्ध, अव्यवहार्य और तार्किक रूप से लागू नहीं करने योग्य विचार को राष्ट्र पर थोपने का अचानक प्रयास सरकार के गुप्त उद्देश्यों के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है”
     सांसद अधीर रंजन ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को समिति से बाहर रखे जाने को लेकर खेद जताते हुए कहा कि “वर्तमान में राज्यसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन को बाहर रखना ये संसदीय लोकतंत्र का जान-बूझकर किया गया अपमान है। इन परिस्थितियों में मेरे पास आपके निमंत्रण को अस्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है”
     वंही केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए 2 सितंबर यानि शनिवार को 8 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
     नोटिफिकेशन के मुताबिक इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे और इस समिति के सदस्य केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस पार्टी के सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी सदस्य होंगे।
     केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे, जबकि कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे। नोटिफिकेशन के मुताबिक ये समिति तुरंत ही अपना काम शुरू कर देगी और जल्द से जल्द रिपोर्ट बनाकर सौंपेगी। लेकिन इस समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए किसी तय समयसीमा का जिक्र नहीं किया गया।
     इस हाईलेवल समिति को चुनावों को एक साथ कराने की रूपरेखा का सुझाव देने और ‘विशेष रूप से उन चरणों और समयसीमा का सुझाव देने का भी काम सौंपा गया है, जिनके भीतर एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं, यदि चुनाव एक बार में नहीं कराए जा सकते’ समिति यह भी पड़ताल करेगी और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होगी। संविधान में कुछ संशोधनों के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
     समिति को एक साथ चुनावों के चक्र की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों की सिफारिश करने और संविधान में आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने के लिए भी कहा गया है ताकि एक साथ चुनावों का चक्र बाधित न हो।
     वन नेशन वन इलेक्शन के लिए बनाई गई समिति पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई क़ुरैशी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “मूल प्रस्ताव लोकतंत्र के तीनों स्तरों जैसे लोकसभा (543 सांसद), विधानसभा (4,120 विधायक) और पंचायतों/नगर पालिकाओं (30 लाख सदस्य) के लिए एक साथ चुनाव कराने का था। शनिवार जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि साल 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव ज्यादातर एक साथ होते थे, जिसके बाद यह चक्र टूट गया और अब, लगभग हर साल और एक साल के भीतर भी अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिसके परिणाम सरकार और अन्य हितधारकों द्वारा बड़े पैमाने पर व्यय के तौर पर सामने आते हैं।
-ओम कुमार
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