काम की खबर (Utility News)देश (National)सिटी टुडे /आजकल
Trending

Banking on World Heritage: जी20 देशों के बैंक नोटों पर “वसुधैव कुटुम्बकम” का उत्सव

बैंक नोटों के माध्यम से मानवता और संस्कृति के सम्बंध को प्रदर्शित करेगी ये प्रदर्शनी

👆भाषा ऊपर से चेंज करें

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (IGNCA) 30 जून से 9 जुलाई, 2023 तक एक प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है, जिसमें यूनेस्को सूची में शामिल विश्व धरोहर स्थलों के चित्रण वाले बैंक नोटों को अनूठे तरीके से प्रदर्शित किया जाएगा। इस अनूठी प्रदर्शनी की क्यूरेटर विदुषी रुक्मिणी दहानुकर हैं। प्रदर्शनी का उद्घाटन 30 जून को शाम 5 बजे केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी करेंगी। जी-20 देशों के उच्चायुक्तों और राजदूतों के भी इस उद्घाटन समारोह में शामिल होने की संभावना है।
     भारत की अध्यक्षता में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के समारोहों के अंतर्गत आयोजित यह प्रदर्शनी सदस्य देशों के बैंक नोटों पर केंद्रित है। यह एक विशेष अवसर भी है। यूनेस्को जहां विश्व धरोहर सम्मेलन के 50वें वर्ष का उत्सव मना रहा है, वहीं भारत की स्वतंत्रता के भी 75 वर्ष पूरे हुए हैं और पूरा भारत अमृतकाल का जश्न मना रहा है।
     आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी के अनुसार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की योजना इस अवसर पर एक स्मारिका प्रकाशित करने की भी है। उनका मानना है कि यह स्मारिका विद्वानों और प्रदर्शनी में आने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा, यह विभिन्न सभ्यताओं के विश्व धरोहर स्थलों के बारे में जागरूकता भी पैदा करेगी। यह विभिन्न देशों के विद्वानों और शोधकर्ताओं के बीच विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करेगी।
     आईजीएनसीए के सांस्कृतिक अभिलेखागार में पुरालेखपाल प्रो. कुमार संजय झा ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी “बैंकिंग ऑन वर्ल्ड हेरिटेज” पेश करने पर गर्व है। इससे पहले कभी भी दुनिया भर के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों को प्रदर्शित करने वाले बैंक नोटों को इतने अनोखे तरीके से प्रस्तुत और स्मरण नहीं किया गया था।
     प्रदर्शनी की क्यूरेटर रुक्मिणी दहानुकर ने कहा कि यह प्रदर्शनी मिलेनियल पीढ़ी (1980 और 90 के दशक में जन्मे लोग) और युवाओं को बैंक नोटों के माध्यम से उनकी संस्कृति और विरासत के बारे में शिक्षित करेगी। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “मैंने पैसे इकट्ठा करने में ज्यादा पैसा खर्च किया है।” हमारे देश के बैंक नोटों में देश की 17 भाषाएं हैं, जो समावेशिता और विविधता में एकता को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी बैंक नोटों के माध्यम से मानवता और संस्कृति के सम्बंध को भी प्रदर्शित करेगी।
     दिलचस्प बात यह है कि सदस्य देशों ने जो मुद्राएं जारी की हैं, वे हमारे इतिहास के भव्य स्मारकों को चित्रित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक हैं। इसके माध्यम से समाज को इतिहास के भव्य स्मारकों के महत्व के बारे में प्रभावी तरीके से बताया जा सकता है। सिक्के प्राचीन भारतीय इतिहास का अमूल्य स्रोत हैं। ये हमारे अतीत के गौरवशाली इतिहास को दर्शाते हैं। कई मामलों में वे हमें राजाओं के शासन काल, राज्यों की अर्थव्यवस्था और साम्राज्यों के विस्तार और उस अवधि के दौरान व्यापार के बारे में बताते हैं। वे उस काल की कला और धर्म पर भी प्रकाश डालते हैं, जिससे वे सम्बंधित हैं।
     प्रदर्शनी के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र एक पैनल चर्चा का भी आयोजन कर रहा है। पैनल चर्चा के वक्ताओं में भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक सुधाकर कजार, एनसीएईआर की प्रोफेसर पूनम महाजन, डे ला रू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कंट्री डायरेक्टर आशीष चंद्रा, विद्वान आनंद कोठारी और प्रदर्शनी की क्यूरेटर रुकमिनी दाहुनकर शामिल हैं।
     इस प्रदर्शनी का आयोजन रुक्मिणी दहानुकर की संस्था ‘मनी टॉक्स’ द्वारा किया जा रहा है, जो दुनिया भर के बैंकनोट कला और डिजाइन की अनकही कहानी को उजागर करती है।
Tags

Related Articles

Back to top button
Close