World Book Fair 2025: साहित्य अकादेमी मंच पर प्रताप सहगल के नाटक ‘रामानुजन’ का विमोचन
कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया

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नई दिल्ली। भारत मंडपम में चल रहे विश्व पुस्तक मेले (World Book Fair) में साहित्य अकादेमी के मंच पर प्रख्यात नाटककार प्रताप सहगल के नाटक ‘रामानुजन’ का भव्य लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध रंगकर्मी सतीश आनंद ने नाटक का विमोचन किया और प्रताप सहगल को एक उत्कृष्ट नाटक के लिए बधाई दी।
रामानुजन: एक विमर्शशील नाटक
सतीश आनंद ने कहा कि प्रताप सहगल की पैनी दृष्टि गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन के उन पहलुओं पर केंद्रित है, जो नाटक को केवल एक जीवनी नहीं बल्कि एक गहरे विमर्श का मंच बना देते हैं। उन्होंने कहा कि सहगल के नाटक निर्देशकों के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे रोचकता बनाए रखते हुए गंभीर विमर्श को भी थामे रखते हैं।
प्रताप सहगल की लेखनी और विचारधारा
कार्यक्रम में प्रताप सहगल ने अपनी रचना प्रक्रिया साझा करते हुए कहा कि वे उन्हीं विषयों को चुनते हैं जिन पर कम काम हुआ हो या जो साहित्य में अनुपस्थित हों। उन्होंने कहा—
“मेरा प्रयास होता है कि नाटक केवल सूचना देने का माध्यम न बने, बल्कि उसमें कोई न कोई विमर्श अवश्य हो। इस नाटक में मैंने प्रोफेसर हार्डी और रामानुजन के रिश्ते के माध्यम से राष्ट्रवाद के विचार को परखा है। मेरा राष्ट्रवाद सच्चा राष्ट्र प्रेम है, न कि कोई राजनीतिक राष्ट्रवाद।”
नाटक की उपयोगिता और भविष्य
सतीश आनंद ने कहा कि यह नाटक उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा जो हिंदी में मौलिक नाटकों की कमी की बात करते हैं। प्रताप सहगल का नाट्य लेखन लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है, जो हिंदी रंगमंच के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया। समारोह में कई साहित्यकारों, रंगकर्मियों और पाठकों की उपस्थिति रही, जिन्होंने इस नाटक को हिंदी नाट्य जगत के लिए एक अहम कड़ी बताया।
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