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Women Empowerment: शिक्षा महिलाओं को सक्षम बनाती है -रश्मि

महिला सशक्तिकरण का मतलब है महिलाओं को स्वतंत्रता, समानता, स्वावलंबन और आत्मनिर्भर की अवस्था में उच्चतम स्तर पर पहुंचने की संभावना को ताकत देना

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महिला सशक्तिकरण आज के समय में एक महत्वपूर्ण और व्यापक विषय है। जिस पर निरंतर चर्चा और कार्य होने चाहिए ताकि भारतीय महिलाएं सशक्त हो सके। महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और न्यायिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास है। महिला सशक्तिकरण का मतलब है महिलाओं को स्वतंत्रता, समानता, स्वावलंबन और आत्मनिर्भर की अवस्था में उच्चतम स्तर (Highest Level) पर पहुंचने की संभावना को ताकत देना। यह एक सामरिक और समर्पित प्रक्रिया है जिसमें समाज, सरकार, संगठन और व्यक्तियों को साथ मिलकर काम करना और समन्वय स्थापित करना होगा।
     महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के माध्यम से, महिलाओं को उनके प्राकृतिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा और उन्हें उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए सक्षम बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, महिलाओं को सक्रिय भूमिका में स्थान देने, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक निर्णयों में भाग लेने, अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने और उन्नति के लिए अवसरों को बढ़ाना होगा ताकि महिलाएं सशक्त रूप से उभर सकें। इस समय के आधुनिक समाज में, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई माध्यमों के द्वारा महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है।
     प्रथम तौर पर महिलाओं को शिक्षा का अधिकार देना बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा महिलाओं को स्वयं समर्पित और स्वावलंबी बनाती है, उन्हें आधुनिक समाज के बारे में सोचने समझने की क्षमता प्रदान करती है और उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी और समझ भी प्रदान करती है। शिक्षा महिलाओं को सक्षम बनाती है कि वे अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता को प्राप्त कर सकें।
     दूसरे तौर पर महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिक के साथ-साथ उन्हें जनसंख्या नियंत्रण के अधिकार दिए जाने चाहिए। महिलाएं न सिर्फ अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए उचित संरचनाओं की मांग करती हैं, बल्कि उन्हें निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी मिलनी चाहिए कि वे कितने बच्चों को जन्म देना चाहती हैं। महिलाओं को जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता और सुविधाएं मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी आवश्यकताओं और परिवार की स्थिति के अनुसार निर्णय ले सकें।
     तीसरे, न्यायिक और कानूनी सुविधाएं महिलाओं के लिए समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। यह इसलिए जरूरी है कि विधायिका और कानूनी प्रक्रियाओं में विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा करने और न्याय के लिए लड़ने के लिए आसानी से उपयोग कर सकें। महिलाओं को घरेलू हिंसा, जातिवाद, छेड़छाड़ और उत्पीड़न के मामलों में विशेष सुरक्षा और न्याय मिलना चाहिए। वहीं चौथे तौर पर महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की आवश्यकता होती है ताकि वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सके और अपने सपनों को पूरा करने के लिए व्यापार को उच्च स्तर पर ले जा सके और आर्थिक विकास में अपना योगदान देने के लिए स्वतंत्र हो सकें। उन्हें वित्तीय ज्ञान, बैंकिंग सुविधाएं, कर्मचारी और व्यापारिक कौशल का अधिकार और जानकारी दी जानी चाहिए।
     पांचवे तौर पर सामाजिक बदलाव के लिए महिलाओं का जागरूकता होना सबसे महत्वपूर्ण है। महिलाएं सामाजिक परंपराओं, बुराइयों और आर्थिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जागरूक बननी चाहिए। महिलाओं को ऐसी परंपराओं को चुनौती देनी चाहिए जो महिलाओं की प्रगति को रोकती हैं और उन्हें अपनी मूल प्रतिभाओं को समझने और विकसित करने से रोकती हैं। जन-जागरूकता के कार्यक्रम के लिए मीडिया, सामाजिक संगठनों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है जिसके माध्यम से महिलाओं को सशक्त करने की जरूरत है।
     संक्षेप में कहें तो, महिला सशक्तिकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से महिलाओं को स्वतंत्रता, सक्रियता और समान अधिकार के लिए प्रेरित करना और उन्हें सशक्त बनाना है। महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को विशेष रूप से कार्य करना चाहिए ताकि महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न्यायिक स्तर मजबूती मिल सके। महिला सशक्तिकरण तभी हो सकता है जब महिलाओं को समाज के हर स्तर पर उनके हितों की रक्षा हो सके और उन्हें शक्ति के रूप में उभारा जा सके।
लेखिका- रश्मि 
(पीएचडी, इन मार्केटिंग, सोशल मीडिया)
(इस लेख में लिखे गए विचार लेखिका के हैं संस्था का इससे कोई लेना-देना नहीं है)
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