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उर्दू भाषा और साहित्य ने पूरे हिन्दोस्तान को एकजुट किया: अख़तर उल-वासे
स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका: शहज़ाद अंजुम

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साहित्य अकादमी द्वारा 5-6अक्टूबर को आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी “स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू साहित्य का योगदान” का आज समापन हो गया। 5 अक्टूबर को आयोजित उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात उर्दू विद्वान अख्तर उल वासे ने की, बीज वक्तव्य ख्वाजा गुलामूसैयदैन ने, आरंभिक वक्तव्य उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक चंद्रभान ख्याल ने, उद्घाटन वक्तव्य मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के कुलपति सैयद ऐनुल हसन ने दिया। इस सत्र की मुख्य अतिथि प्रख्यात उर्दू विदुषी सैयदा सैयदैन हमीद थी। सभी का स्वागत साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने किया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो.अख़तर उल-वासे ने कहा कि भाषाओं का कोई मज़हब नहीं होता बल्कि मज़हब को ज़बानों की ज़रूरत होती है। ज़बानें संवाद पैदा करती हैं, विवाद नहीं। उन्होंने कहा कि उर्दू वो भाषा है जिसने ना सिर्फ पूरे देश को एकजुट किया है बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के बहुत सारे अन्य पहलूओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि उर्दू साहित्य में स्त्री आंदोलन के हवाले से मैं इन दो व्यक्तियों को ख़ास मानता हूँ, पहला डिप्टी नज़ीर अहमद और दूसरे अलताफ़ हुसैन हाली।

अपने उद्घाटन वक्तव्य में मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. सय्यद ऐनुल हसन ने कहा कि भारतीय पंचतंत्र का गहरा प्रभाव फ़्रांस की क्रांति पर पड़ा है। उन्होंने प्रेमचंद के सोज़-ए-वतन समेत ऐसी तमाम किताबों का ज़िक्र किया जिन्हें अंग्रेज़ों ने ज़बत कर लिया था।
मुख्य अतिथि प्रो.सैयदा सैयदैन हमीद ने अपने परदादा मौलाना अलताफ़ हुसैन हाली और वालिद ख्वाजा गुलामूसैयदैन के हवाले से स्वतंत्रता संग्राम पर रोशनी डाली।
आरंभ में उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक चंद्रभान ख्याल ने संगोष्ठी के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई विस्मृत साहित्यकारों का उल्लेख करते हुए कहा की नई पीढ़ी को उनके बारे में जानना समझना जरूरी है। अगला सत्र डॉ.नरेश की अध्यक्षता में हुआ जिसमें महमूद मलिक, चश्मा फारूकी और नौशाद मंज़र ने अपने आलेख प्रस्तुत किए। दिन का अंतिम सत्र माहिर मंसूर की अध्यक्षता में संपन्न हुआ जिसमें क़ासिम खुर्शीद, अबू ज़हीर रब्बानी और शहनाज रहमान ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए। आज 6 अक्टूबर को आयोजित पहला सत्र शहज़ाद अंजुम की अध्यक्षता में हुआ जिसमें साजिद क़ादरी, शाज़िया उमैर और अनवारूल हक़ ने अपने आलेख प्रस्तुत किए। अंतिम सत्र की अध्यक्षता चंद्रभान ख़्याल ने की और रज़िया हमीद और अजय मालवीय ने अपने आलेख प्रस्तुत किए।





