मेरे अलफ़ाज़/कवितासाहित्य
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श्रीराम सबके हैं, हमें उनका आकार छोटा नहीं, बडा करना है -सुरेन्द्र शर्मा
रामायण तो कईयों ने लिखी पर हमारे घरों के मंदिर में सिर्फ तुलसी के रामायण ही रखी गई। क्योंकि तुलसी ने राम मय हो कर लिखा

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राम किसी एक के नहीं है। राम सबके हैं। श्रीराम को किसी एक को बता कर हम उनका आकार छोटा करेंगे। आज से पचास साल पहले जब हम एक दूसरे से मिलते थे तो राम-राम बोलते थे, आज नमस्ते और गुड मॉर्निग बोलते है। पहले हिन्दू से मुस्लिम भी मिलते थे तो वह भी राम-राम का उत्तर राम-राम में ही देते थे। लेकिन आज उसका आकार छोटा हो गया है। यह बात हास्य व्यंग्य कवि सुरेन्द्र शर्मा ने डा. संदीप कुमार शर्मा की पुस्तक मेरे आराध्य राम के विमोचन के अवसर पर कही।

इस मौके पर पुष्पिता अवस्थी की लिखी चार पुस्तकों युगपुरुष श्री अटल बिहारी बाजपेयी, जंग न होने देंगे, विचार अमृत व यादें और बातें पुस्तकों का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आज यानि शनिवार को वरिष्ठ कवि व गीतकार बाल स्वरूप राही, सुरेन्द्र शर्मा, शिव शंकर अवस्थी और डायमंड बुक्स के नरेन्द्र कुमार वर्मा ने संयुक्त रूप से किया।
उन्होंने कहा कि राम ने तो आज्ञा का पालन किया था, त्याग तो सीता ने, लक्ष्मण ने और सुमित्रा ने किया था। हमने धर्म को गलत अर्थो में ले लिया है। हमने बुद्ध को बौद्धों तक, नानक को सिखों तक सीमित कर दिया है। यह ठीक नहीं है। रामायण तो कईयों ने लिखी पर हमारे घरों के मंदिर में सिर्फ तुलसी के रामायण ही रखी गई। क्योंकि तुलसी ने राम मय हो कर लिखा बाकियों ने राममय होकर नहीं लिखा था। बालस्वरूप राही ने संदीप कुमार शर्मा की पुस्तक मेरे आराध्य राम को एक शोध परक पुस्तक बताते हुए हर एक को पढने के योग्य बताया। अन्य वक्ताओं ने भी पुस्तक में शामिल शोधपरक तथ्यों के लिए लेखक की सराहना करते हुए ऐसी किताब की आज की जरूरत बताई।





