उत्तर भारत में पहली बार ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट (HDA) पैच से कंधे की सर्जरी सफल
अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में नई मेडिकल तकनीक से मरीज को मिली राहत

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हरियाणा के फरीदाबाद निवासी 28 वर्षीय वासु बत्रा उत्तर भारत में पहले ऐसे मरीज बन गए हैं, जिनकी कंधे की सर्जरी ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट (HDA) पैच की मदद से सफलतापूर्वक की गई। यह आधुनिक चिकित्सा तकनीक सामान्यतः अमेरिका और पश्चिमी देशों में प्रचलित है। भारत में इस पैच का इस्तेमाल अब तक बहुत सीमित रूप से ही हुआ है।
यह ऐतिहासिक सर्जरी 5 जून 2025 को अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में हुई, जिसे सीनियर ऑर्थोपेडिक और अपर लिंब सर्जन डॉ. प्रियतर्शी अमित ने अंजाम दिया। इस सर्जरी में मरीज के कंधे की फटी हुई मांसपेशी (रोटेटर कफ) की मरम्मत के लिए अमेरिका से विशेष रूप से मंगवाया गया HDA पैच लगाया गया।
पिछली सर्जरी असफल, दर्द लगातार बना रहा
वासु बत्रा को 2021 में कंधा बार-बार खिसकने की समस्या के लिए बैंकार्ट सर्जरी करवाई गई थी। लेकिन समय के साथ स्थिति और बिगड़ती गई। कंधा कमजोर हो गया, स्थिरता खत्म हो गई और मरीज को लगातार दर्द रहने लगा। सामान्य गतिविधियाँ जैसे हाथ उठाना, कपड़े पहनना भी बेहद मुश्किल हो गया था।
HDA पैच: एक आधुनिक समाधान
डॉ. प्रियतर्शी अमित ने बताया, “मामला बेहद जटिल था क्योंकि हड्डी और मांसपेशी दोनों को नुकसान पहुंचा था। कंधे का सॉकेट फट चुका था और मांसपेशी बुरी तरह से घिस चुकी थी। इसलिए हमने बोन ग्राफ्ट के साथ-साथ डोनर से मिली इंसानी त्वचा से बना ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट पैच लगाने का निर्णय लिया।”
उन्होंने आगे बताया कि अमेरिका और यूरोप में यह तकनीक काफी प्रचलित है और इसके परिणाम भी बेहतर देखे गए हैं। इस पैच से मांसपेशी को अतिरिक्त सहारा मिलता है, जिससे रिकवरी बेहतर होती है और भविष्य में मांसपेशी के फिर से फटने की संभावना कम हो जाती है।
क्या होता है ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट पैच?
यह इंसानी त्वचा से बना एक जैविक (बायोलॉजिकल) पैच होता है, जिसे डोनर से लिया जाता है और ऊतक (टिश्यू) के रूप में प्रोसेस किया जाता है। इसमें कोई सेल नहीं होते (एसेलुलर), जिससे शरीर इसे आसानी से स्वीकार करता है। यह क्षतिग्रस्त मांसपेशियों को सहारा देने और मजबूत करने का कार्य करता है।
भारत में उपयोग सीमित, लेकिन असरदार
भारत में अभी यह तकनीक सीमित रूप से इस्तेमाल हो रही है क्योंकि इसके लॉजिस्टिक्स, इंपोर्ट परमिट और कीमत जैसे मुद्दे हैं। लेकिन अमेरिका में हर साल करीब 20,000 से अधिक सर्जरी HDA पैच की मदद से होती हैं। अमेरिका में की गई स्टडीज़ बताती हैं कि जहां सामान्य सर्जरी के बाद मांसपेशी के दोबारा फटने की दर 26% होती है, वहीं HDA पैच के इस्तेमाल से यह केवल 10% रह जाती है।
प्रभावशाली सहयोग
यह विशेष पैच अमेरिका से अवाना मेडिकल डिवाइसेज़ प्राइवेट लिमिटेड द्वारा मंगवाया गया था। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री पी. सुंदरराजन ने कहा, “भारत में विश्वस्तरीय मेडिकल तकनीक लाना हमारा लक्ष्य है, और हमें खुशी है कि इस महत्वपूर्ण केस में हमने समय पर HDA पैच उपलब्ध कराकर सहयोग दिया।”
मरीज ने जताया आभार
मरीज वासु बत्रा ने बताया, “मुझे लगने लगा था कि मैं शायद कभी ठीक नहीं हो पाऊंगा। लेकिन इस नई तकनीक और डॉक्टरों की टीम ने मुझे नई जिंदगी दी है।”
तेजी से रिकवरी और अन्य आधुनिक तकनीकें
सर्जरी के बाद मरीज को केवल 24 घंटे में अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वह फिलहाल रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।
डॉ. अमित और उनकी टीम ने इस केस में एक और अत्याधुनिक तकनीक Arthrex Virtual Implant Positioning (VIP) सिस्टम का भी उपयोग किया। इस सिस्टम की मदद से सीटी स्कैन से 3D मॉडल बनाकर सर्जरी की पहले से सटीक योजना बनाई गई। जर्नल ऑफ शोल्डर एंड एल्बो सर्जरी के अनुसार, यह तकनीक सर्जरी की सटीकता को 30% तक बढ़ा देती है, विशेषकर उन मामलों में जहां पहले से कंधे की बनावट बिगड़ी हो।
भारत में ऑर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम है। उत्तर भारत में पहली बार HDA पैच का इस्तेमाल इस बात का संकेत है कि अब देश में भी वैश्विक मेडिकल तकनीकें तेजी से अपनाई जा रही हैं। यह सर्जरी न केवल एक मरीज के लिए उम्मीद की किरण बनी, बल्कि भविष्य के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।

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