मेरे अलफ़ाज़/कवितासाहित्य
साहित्य अकादमी ने प्रो. सफ़िक़ुन्नबी सामादी को प्रेमचंद महत्तर सदस्यता से सम्मानित किया
सफ़िक़ुन्नबी सामादी का जन्म 27 अगस्त 1963 को बांग्लादेश के नारायणगंज स्थित सोनारगाँव में हुआ

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साहित्य अकादमी ने बांग्लादेश के प्रख्यात लेखक और अनुवादक प्रोफ़ेसर सफ़िक़ुन्नबी सामादी को अपनी प्रतिष्ठित प्रेमचंद महत्तर सदस्यता से सम्मानित किया। यह सम्मान अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने एक गरिमामय समारोह में प्रदान किया। यह आयोजन साहित्य अकादमी के तृतीय तल स्थित सभाकक्ष में किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत और वक्तव्य
अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने स्वागत भाषण देते हुए प्रो. सामादी का प्रशस्ति-पाठ किया। अध्यक्षीय संबोधन में माधव कौशिक ने कहा, “साहित्य सीमाओं से परे मानवता को जोड़ने का कार्य करता है। प्रो. सामादी का सम्मान उन मानवीय संवेदनाओं का सम्मान है, जो सीमाओं से स्वतंत्र होकर दिलों में संचारित होती हैं।”

अपने स्वीकृति भाषण में प्रो. सफ़िक़ुन्नबी सामादी ने कहा, “मैं भाषाओं और साहित्य के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप को जोड़ने का सपना देखता हूँ। मेरा उद्देश्य अनुवाद के जरिए घर, पड़ोस और फिर पूरी दुनिया को जोड़ना है। अनुवाद के माध्यम से मैं संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास करता हूँ। यह प्रयास एक दिन बड़े आंदोलन का रूप लेगा और इस उपमहाद्वीप की संस्कृतियाँ आपस में मेल-मिलाप करेंगी।”
प्रो. सफ़िक़ुन्नबी सामादी का जीवन परिचय
सफ़िक़ुन्नबी सामादी का जन्म 27 अगस्त 1963 को बांग्लादेश के नारायणगंज स्थित सोनारगाँव में हुआ। उनकी शिक्षा रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से डी-लिट् और पीएचडी, जहाँगीर नगर विश्वविद्यालय से स्नातक (ऑनर्स) और स्नातकोत्तर की उपाधियाँ शामिल हैं।
प्रकाशित कृतियाँ और योगदान
प्रो. सामादी ने अब तक 4 मौलिक पुस्तकें, 18 अनुवाद और 3 संपादित पुस्तकें प्रकाशित की हैं। उनकी प्रमुख मौलिक कृतियाँ:
1. कथासाहित्ये वास्तवता: शरतचंद्र और प्रेमचंद
2. नज़रूलेर गान: कवितार स्वाद
3. ताराशंकरेर छोटोगल्प: जीवनेर शिल्पित सत्य
4. साहित्य-गवेषणा: विषय ओ कौशल
उनके उल्लेखनीय अनुवादों में हिंदी और उर्दू साहित्य के कई प्रमुख रचनाकारों की कृतियाँ शामिल हैं:
– गुलज़ार की *त्रिवेणी* और *दो लोग*
– प्रेमचंद की *साहित्य का उद्देश्य*
– धर्मवीर भारती का *अंधायुग*
– अमृता प्रीतम और इस्मत चुगताई की चुनिंदा कहानियाँ
हिंदी में उनकी प्रसिद्ध अनूदित पुस्तक जन्मशतवर्ष की श्रद्धांजलि: बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को निवेदित सौ कविताएँ भी बेहद सराही गई।
शैक्षणिक और साहित्यिक यात्रा
1988 से राजशाही विश्वविद्यालय के बांग्ला विभाग में जुड़े प्रो. सामादी ने 35 वर्षों के अपने कार्यकाल में व्याख्याता, सहायक प्रोफ़ेसर और एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में वे इसी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत हैं।
समारोह की शोभा
इस अवसर पर रामकुमार मुखोपाध्याय, सुरेश ऋतुपर्ण, मोहन हिमथाणी और नसीब सिंह मन्हास जैसे लेखक एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अकादमी के उपसचिव एन. सुरेशबाबु ने किया।
साहित्य अकादमी द्वारा प्रो. सामादी को दिए गए इस सम्मान ने साहित्य और मानवीय संवेदनाओं को नए स्तर पर उजागर किया है।
-भूपिंदर सिंह
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