देश (National)राजनीति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तीसरा कार्यकाल, PMO में सेवा और ऊर्जा पर जोर
मेरे दिल-दिमाग में सिवाय 140 करोड़ लोगों के अलावा कोई नहीं है -PM Modi

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लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं। 9 जून रविवार को उनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 जून सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि “मेरी कोशिश रही है कि पीएमओ (PMO) सेवा का अधिष्ठान होना चाहिए। पीएमओ पीपुल्स पीएमओ होना चाहिए। ये मोदी का पीएमओ नहीं हो सकता।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएमओ में आयोजित कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए कहा कि “10 साल पहले हमारे देश में पीएमओ को लेकर एक छवि बनी हुई थी। लोगों का मानना था कि पीएमओ शक्ति का एक केंद्र है। एक बहुत बड़ा पावर सेंटर है। मैं न सत्ता के लिए पैदा हुआ हूं और नहीं शक्ति अर्जित करने के लिए सोचता हूं। मेरे लिए पीएमओ (PMO) सत्ता का केंद्र बने, पीएमओ शक्ति केंद्र बने, ये न मेरी इच्छा है और न मेरा रास्ता है। साल 2014 से हमने पीएमओ को एक कैटेलिटिक एजेंट के तौर पर डेवलप करने की कोशिश की है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगे बोलते हुए कहा कि “हमारा मकसद है कि पीएमओ को लेकर ऊर्जा प्रसारित होती रहे। यहां से नई-नई चेतना प्रसारित होती रहे। मेरी कोशिश रही है कि पीएमओ सेवा का अधिष्ठान होना चाहिए। पीपुल्स पीएमओ होना चाहिए पीएमओ। ये मोदी का पीएमओ नहीं हो सकता।”

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे अपने सम्बोधन में कहा कि “मेरे दिल-दिमाग में सिवाय 140 करोड़ लोगों के अलावा कोई नहीं है। मेरे लिए 140 करोड़ नागरिक नहीं हैं, बल्कि ये मेरे लिए परमात्मा का रूप हैं। जब मैं सरकार में बैठकर कोई फैसले करता हूं, तो मैं सोचता हूं कि 140 करोड़ देशवासियों की मैंने इस रूप में पूजा की है। उनके चरणों में मैंने एक योजना के रूप में फूल चढ़ाया है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएमओ कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि “सफल इंसान वो होता है, जिसके भीतर का विद्यार्थी कभी मरता नहीं है। मुझसे चुनावों में और दूसरे मंचों पर अक्सर ऐसा सवाल पूछा जाता है कि मैं इतनी एनर्जी कहां से लाता हूं? मुझे लोग पूछते हैं कि मैं थकता क्यों नहीं हूं। वो मेरी बॉडी को तलाश रहे हैं। मैं क्या खाता हूं, कितना सोता हूं। मैं कितना योगा करता हूं। लेकिन वो गलत ट्रैक पर हैं। उन्हें मेरी एनर्जी के रहस्यों की जानकारी नहीं है। मेरी एनर्जी का रहस्य ये है कि मैं जीवन पर अपने भीतर के विद्यार्थी को जिंदा रखता हूं। जो व्यक्ति अपने भीतर के विद्यार्थी को जिंदा रखता है, वो कभी भी सामर्थ्यहीन नहीं होता है।”
-ओम कुमार
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