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समाज और सिनेमा दोनों में हंसी के रंग भरने वाले जसविंदर भल्ला का निधन, पंजाबी मनोरंजन जगत में शोक की लहर

जसविंदर भल्ला की सबसे बड़ी पहचान उनकी छनकाटा ऑडियो-वीडियो श्रृंखला रही, जिसकी शुरुआत 1988 से हुई थी

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पंजाबी सिनेमा और हास्य जगत के लोकप्रिय अभिनेता जसविंदर भल्ला का 22 अगस्त 2025 को निधन हो गया। वे लंबे समय से पंजाबी फिल्मों और मंचीय प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में बसे हुए थे। हास्य कलाकार के रूप में अपनी अद्वितीय शैली, सटीक टाइमिंग और संवाद प्रस्तुति के कारण उन्होंने न केवल पंजाब में, बल्कि देश-विदेश में बसे पंजाबी समुदाय के बीच भी खास पहचान बनाई।

प्रारंभिक जीवन और करियर

जसविंदर भल्ला का जन्म 4 मई 1960 को लुधियाना, पंजाब में हुआ था। वे शिक्षा से एग्रीकल्चर साइंटिस्ट रहे और पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे। इसके साथ ही वे अभिनय और हास्य के क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहे।

उनका करियर 1988 में तब शुरू हुआ जब उन्होंने हास्य नाटक और ऑडियो-वीडियो कैसेट्स के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। “छनकाटा” श्रृंखला ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया। यह श्रृंखला न केवल हास्य का प्रतीक बनी बल्कि पंजाबी कॉमेडी संस्कृति का अहम हिस्सा भी साबित हुई।

पंजाबी सिनेमा में योगदान

भल्ला ने 1990 के दशक में फिल्मों की ओर रुख किया और धीरे-धीरे पंजाबी सिनेमा के हास्य कलाकारों की पहली पसंद बन गए।
उनकी प्रमुख फिल्में –

  • कैरी ऑन जट्टा
  • कैरी ऑन जट्टा 2
  • वैल्कम भाज्जी
  • मेल करा दे रब्बा
  • जट्ट एंड जूलियट
  • लकी दी अनलकी स्टोरी
  • मनजीते जगजीते

इन फिल्मों में उन्होंने अपनी कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को खूब हंसाया। उनकी भूमिका अक्सर एक हल्के-फुल्के, व्यंग्यात्मक और पारिवारिक हास्य से भरी रहती थी।

“छनकाटा” श्रृंखला और लोकप्रियता

जसविंदर भल्ला की सबसे बड़ी पहचान उनकी छनकाटा ऑडियो-वीडियो श्रृंखला रही, जिसकी शुरुआत 1988 से हुई थी। यह श्रृंखला हर साल बैसाखी के अवसर पर रिलीज की जाती थी और पंजाब ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे पंजाबी समुदाय के बीच भी इसे खूब पसंद किया जाता था।
“छनकटा” ने उन्हें न केवल लोकप्रियता दिलाई बल्कि पंजाबी समाज और राजनीति पर व्यंग्य करने का एक मंच भी दिया।

दर्शकों के चहेते कलाकार

भल्ला सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं बल्कि पंजाबी संस्कृति के सच्चे ध्वजवाहक थे। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और राजनीतिक व्यंग्य को भी अपने हास्य के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया। उनके संवाद और अंदाज ने उन्हें हर उम्र के दर्शकों का प्रिय बना दिया।

निधन से छाया शोक

उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे पंजाबी फिल्म और थिएटर जगत में शोक की लहर दौड़ गई। अनेक कलाकारों, निर्देशकों और उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पंजाबी सिनेमा के वरिष्ठ कलाकारों ने कहा कि “जसविंदर भल्ला का जाना पंजाबी मनोरंजन जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने पंजाबी कॉमेडी को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया।”

विरासत

जसविंदर भल्ला की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। उनकी कला ने यह साबित किया कि हास्य सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि समाज का आईना भी होता है। उनके जाने से पंजाबी सिनेमा और रंगमंच में जो खालीपन आया है, उसे भर पाना बेहद मुश्किल होगा।

जसविंदर भल्ला का निधन केवल एक अभिनेता के जाने भर की घटना नहीं है, बल्कि पंजाबी हास्य और कला के एक युग का अंत है। उनकी यादें, उनके संवाद और उनका हास्य सदैव लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाते रहेंगे।

-भूपिंदर सिंह

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