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साहित्य के सम्मान में: प्रकाश मनु की नई पुस्तकों का लोकार्पण

साहित्य मनुष्यता को बचाने का काम करता है -दिविक रमेश

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साहित्य अकादमी ने आज यानि गुरुवार को प्रसिद्ध बाल साहित्यकार प्रकाश मनु की अकादमी  द्वारा प्रकाशित चार नई बाल पुस्तकों एवं दिविक रमेश द्वारा चयनित एवं अनुदित पुस्तक ‘‘किम सोवल की कविताएँ’’ का लोकार्पण किया। प्रकाश मनु द्वारा लिखी गई इन पुस्तकों का लोकार्पण साहित्य के उज्ज्वल पर्व में विशेष महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनकी पुस्तकों का शीर्षक यथार्थ और बच्चों के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए चयन किया गया है। उन्होंने अपने रचनात्मक सामर्थ्य के माध्यम से बच्चों की उत्कृष्टता को ध्यान में रखा है।
    एक अन्य कार्यक्रम ‘कविसंधि’ में प्रख्यात कवि दिविक रमेश ने अपनी साहित्यिक यात्रा एवं अनुभव साझा करते हुए अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं। दिविक रमेश की साहित्यिक प्रतिभा भी इस समारोह में उज्ज्वलता की ओर ध्यान खींच रही है। उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से साहित्य को मनुष्यता को बचाने का महत्व दिया है। उनकी कविताएँ अपने साहित्यिक गुणधर्मों के साथ-साथ अनूठी पहचान बना रही हैं।
     प्रकाश मनु द्वारा लिखी पुस्तकें जिनका आज लोकार्पण किया गया उनके शीर्षक थे – ‘आओ मिलकर खेले नाटक’, ‘तुम भी पढ़ोगे जस्सू?’, ‘लो नाव चली कुक्कू की’ एवं ‘आहा रसगुल्ले’। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं कहानी लिखते हुए परंपरा, यथार्थ, नैतिक बोध जैसे भारी-भरकम शब्दों से परहेज करता हूँ और कहानी की रोचकता का ध्यान रखता हूँ जिससे बच्चे उन्हें रुचिपूर्वक पढ़ सकें। उन्होंने अपनी लोकार्पित नई किताबों के बारे बताते हुए कहा कि यह सब किताबें वर्तमान परिद्रश्य में बच्चों की पसंद को ध्यान में रखते हुए लिखी गई हैं। लोकार्पण के अवसर पर प्रख्यात बाल साहित्यकार दिविक रमेश, शकुंतला कालरा एवं श्याम सुशील भी उपस्थित थे।
     ‘किम सोवल की कविताएँ’ के लोकार्पण पर बोलते हुए दिविक रमेश ने कहा कि किम सोवल ने बिछोह को भी ऐसी सुंदरता से प्रस्तुत किया कि वह एक मिसाल बन गया। बत्तीस वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने सबसे लोकप्रिय कोरियाई कवि होने का गौरव पाया। उन्होंने अनुवाद के दौरान मूल भाषा के ज्ञान की महत्त्वता को बताते हुए कहा कि कोई भी अनुवाद तभी पाठकों के नजदीक पहुँचता है जब कि उसमें स्थानीयता का भरपूर रंग प्रयुक्त किया जाए। इस अवसर पर उन्होंने किम सोवल की दो प्रसिद्ध प्रेम कविताएँ भी प्रस्तुत कीं।
     लेखक मंच पर आयोजित कविसंधि कार्यक्रम के अंतर्गत दिविक रमेश ने दर्जनभर कविताएँ प्रस्तुत कीं और अपनी रचना प्रक्रिया को भी साझा किया। उन्होंने श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। उनका कहना था कि साहित्य मनुष्यता को बचाने का कार्य करता है।
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