Ganesh Chaturthi 2025: झंडेवाला मंदिर में शुरू हुआ भव्य गणेशोत्सव
झंडेवाला मंदिर में गणेशोत्सव 2025 का भव्य आगाज

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प्राचीन और ऐतिहासिक झंडेवाला देवी मंदिर में इस वर्ष का गणेशोत्सव आज विधिवत प्रारंभ हुआ। यह उत्सव 27 अगस्त से लेकर 06 सितंबर 2025 (गणेश चतुर्दशी) तक बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।
शोभायात्रा का आकर्षक दृश्य

आज प्रातः 9:00 बजे मंदिर से गणेश जी की प्रतिमा की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में सैकड़ों महिला सेवादार परंपरागत परिधान में सम्मिलित हुईं, वहीं पुरुष सेवादार रंग-बिरंगी पगड़ियाँ पहनकर मराठा बैंड की धुन पर नृत्य करते नजर आए। ढोल-नगाड़ों और मंत्रोच्चारण के बीच वातावरण पूरी तरह गणेशमय हो गया।
गणपति बप्पा की विधिवत स्थापना

सुबह 10:00 बजे गणेश प्रतिमा की विधिवत स्थापना मंदिर प्रांगण में संपन्न हुई। इसके पश्चात आज के यजमान परिवार द्वारा गणपति जी का पूजन और आरती की गई। विशेष रूप से सजाए गए भव्य दरबार में गणपति बप्पा विराजमान हुए, जहाँ सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन और पूजन के लिए उमड़ पड़ी। आरती उपरांत सभी उपस्थित भक्तों को महाप्रसाद वितरित किया गया।
गणेश जी का पौराणिक इतिहास
गणेश जी को विघ्नहर्ता और सिद्धिविनायक कहा जाता है। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने उबटन से गणेश जी की रचना की और उन्हें अपने कक्ष की रक्षा के लिए नियुक्त किया। जब भगवान शिव कक्ष में प्रवेश करना चाहते थे, तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इस पर क्रोधित होकर शिवजी ने उनका मस्तक काट दिया। बाद में माता पार्वती के आग्रह और उनके शोक को देखकर भगवान शिव ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर स्थापित किया और उन्हें पुनर्जीवित किया।
इसके साथ ही देवताओं ने उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया। तभी से किसी भी शुभ कार्य, पूजा या मांगलिक अवसर की शुरुआत गणेश जी की आराधना से होती है।
गणेशोत्सव का महत्व
गणेशोत्सव का पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस उत्सव में परिवार, समाज और संपूर्ण समुदाय एकत्रित होकर सामूहिक पूजा और उत्सव मनाते हैं।
लोकमान्य तिलक और सार्वजनिक गणेशोत्सव
भारत में सार्वजनिक गणेशोत्सव का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को जाता है।
- सन् 1893 में उन्होंने गणेशोत्सव को घर-घर तक सीमित रहने के बजाय सार्वजनिक पर्व का रूप दिया।
- उनका उद्देश्य था – लोगों को एक साथ जोड़ना और अंग्रेज़ों की हुकूमत के खिलाफ सामाजिक-राजनीतिक चेतना पैदा करना।
- गणेशोत्सव सामूहिक पूजा, कीर्तन, नाटक, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का माध्यम बना।
- धीरे-धीरे यह पर्व महाराष्ट्र से निकलकर पूरे भारत में फैल गया और आज यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति की पहचान बन चुका है।
झंडेवाला मंदिर का विशेष महत्व

दिल्ली स्थित झंडेवाला मंदिर का अपना ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है। यहाँ वर्षों से गणेशोत्सव और नवरात्रि जैसे पर्व भव्य रूप से मनाए जाते हैं। मंदिर प्रबंधन और भक्तों के सहयोग से हर वर्ष यहाँ धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
झंडेवाला मंदिर गणेशोत्सव – दैनिक कार्यक्रम (27 अगस्त से 06 सितंबर 2025 तक)
समय | कार्यक्रम | विवरण |
---|---|---|
प्रातः 5:30 बजे | मंगल आरती | गणपति बप्पा की सुप्रभात सेवा |
प्रातः 7:00 बजे | गणपति अभिषेक | दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से विशेष अभिषेक |
प्रातः 9:00 बजे | विशेष पूजन | मंदिर पुजारियों द्वारा गणपति अर्चना |
प्रातः 10:30 बजे | गणपति दरबार दर्शन | भक्तों के लिए भव्य सजावट और दर्शन |
अपराह्न 1:00 बजे | महाप्रसाद वितरण | सभी भक्तों के लिए प्रसाद की व्यवस्था |
संध्या 6:00 बजे | भजन संध्या | स्थानीय कलाकारों और भजन मंडलियों द्वारा प्रस्तुति |
रात्रि 8:00 बजे | संध्या आरती | दीपों और मंत्रोच्चार के साथ भव्य आरती |
रात्रि 9:00 बजे | सांस्कृतिक कार्यक्रम | नृत्य, कीर्तन एवं भक्तिपूर्ण प्रस्तुतियाँ |
रात्रि 10:30 बजे | शयन आरती | गणपति जी को शयन कराना |
समापन दिवस – 06 सितंबर 2025 (गणेश चतुर्दशी)
गणेश चतुर्दशी के दिन प्रातः काल से ही विशेष अनुष्ठान होंगे। विशाल हवन, पूजन और भव्य शोभायात्रा के पश्चात गणपति बप्पा का विसर्जन धूमधाम से किया जाएगा। इस दौरान हजारों श्रद्धालु “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों के साथ सम्मिलित होंगे।
गणेश जी से जुड़ी 5 विशेष मान्यताएँ
- प्रथम पूज्य देवता – किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है।
- विघ्नहर्ता – गणपति बप्पा हर बाधा और संकट को दूर करने वाले माने जाते हैं।
- ज्ञान और बुद्धि के देवता – विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए गणेश जी विशेष पूजनीय हैं।
- दो सिद्ध मंत्र – “ॐ गं गणपतये नमः” और “वक्रतुंड महाकाय” का जप सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है।
- मोदक प्रिय – गणेश जी को मोदक अति प्रिय है, इसलिए हर गणेश पूजा में मोदक का भोग अनिवार्य रूप से लगाया जाता है।
झंडेवाला मंदिर का गणेशोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपराओं की अनमोल धरोहर को भी जीवंत करता है।
-भूपिंदर सिंह
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