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साहित्योत्सव का अंतिम दिन रहा बच्चों के नाम
विदेशों में भारतीय साहित्य, साहित्य और महिला सशक्तिकरण, मातृभाषा का महत्त्व और संस्कृत भाषा और संस्कृति विषयक आयोजित हुई परिचर्चाएँ

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साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित छह दिवसीय साहित्योत्सव के अंतिम दिन बच्चों से जुड़ी गतिविधियों पर केंद्रित रहा। इसके अतिरिक्त एक अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम व्यक्ति और कृति शीर्षक से था, जिसे समाज सुधारक एवं नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize)विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ आयोजित किया गया।

अपना वक्तव्य देते हुए कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi)ने कहा कि साहित्य अकादमी साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों के लिए तीर्थ स्थल का दर्जा रखती है। मैं कई अन्य तीर्थों की यात्रा कर चुका हूँ और आज साहित्य अकादमी जैसे तीर्थस्थल में भी मेरी उपस्थिति दर्ज हो गई है। यह उपस्थिति मेरे लिए इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि मैं कोई बड़ा साहित्यकार नहीं हूँ लेकिन साहित्य के महत्त्व और इसके प्रभाव को अवश्य समझता हूँ। उन्होंने सोशल मीडिया (Social Media)के बढ़ते बुरे प्रभावों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि हमें इस पर अंकुश लगाना होगा। समाज में व्याप्त असुरक्षा, निराशा और संकुचित होते संबंधों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इससे छुटकारा तब ही मिल सकता है तब भारत भूमि से ‘करुणा का वैश्विकरण’ का संदेश पूरी दुनिया को दिया जाएगा। वक्तव्य में उन्होंने अपने बचपन के दिनों में रामचरित मानस का प्रभाव, पिता और बड़े भाई के साथ कठिन मेहनत, हिंदी के प्रति अपना प्यार और भारत की नैतिक शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी वैदिक परंपरा ही समाज में सद्भाव लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
बच्चों के लिए प्रतियोगिताएँ दो वर्गो जूनियर एवं सीनियर में आयोजित की गई थी, जिसमें 300 बच्चों ने भाग लिया। पुरस्कृत बच्चों को प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार वितरित किए गए। समारोह में, बाल लेखकों – अनंतिनी मिश्रा, सिया गुप्ता, राम श्रीवास्तव और साइना सरीन ने साथी युवा छात्र मित्रों के साथ रचनात्मक लेखन के अपने अनुभव साझा किए।
साहित्य अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला साहित्योत्सव इस बार अपने सबसे बड़े रूप में दिल्ली एवं एनसीआर वासियों के लिए 11से 16 मार्च तक आयोजित हुआ। छह दिवसीय इस उत्सव में इस बार 400 से ज़्यादा रचनाकारों ने 40 से ज़्यादा विभिन्न कार्यक्रमों में लगभग 60 भाषाओं का प्रतिनिधित्व किया। साहित्योत्सव की शुरुआत अकादमी की वर्षभर की प्रमुख गतिविधियों की प्रदर्शनी से हुआ जिसका उद्घाटन माननीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया। साहित्योत्सव का मुख्य आकर्षण साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022 वितरण समारोह 11 मार्च को कमानी सभागार संपन्न हुआ। इस समारोह के मुख्य अतिथि लब्धप्रतिष्ठ अंग्रेज़ी लेखक एवं विद्वान उपमन्यु चटर्जी थे। प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यान भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा द्वारा 12 मार्च को दिया गया। अन्य कार्यक्रमों में 7 लेखक सम्मिलन, 15 रचना-पाठ कार्यक्रम, 13 परिचर्चाओं के अलावा नारी चेतना, अस्मिता, कथासंधि, लेखक से भेंट और व्यक्ति और कृति जैसे नए कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम के साथ ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी उत्सव का मुख्य आकर्षण रहीं।यह जानकारी देते हुए साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि इस वर्ष साहित्योत्सव भारतीय साहित्य और संस्कृति की एकता विषय पर केंद्रित था। पूर्व के वर्षों में आयोजित होने वाले कार्यक्रम जैसे पूर्वाेत्तरी, आदिवासी सम्मिलन, युवा साहिती, आओ कहानी बुनें, एलजीबीटीक्यू सम्मिलन और राष्ट्रीय संगोष्ठी के अतिरिक्त इस बार कुछ नए विषय भी जोड़े गए थे जैसे जी 20 को केंद्र में रखते हुए ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ विषयक अखिल भारतीय कवि सम्मिलन, शिक्षा और सृजनात्मकता, वैचारिकता और साहित्य एवं साहित्य और महिला सशक्तिकरण पर विशेष परिचर्चाएँ रखी गई थीं।
अंतिम दिन चार परिचर्चाएँ विदेशों में भारतीय साहित्य, साहित्य और महिला सशक्तिकरण, मातृभाषा का महत्त्व और संस्कृत भाषा और संस्कृति विषय पर आयोजित की गई जिनके विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रतिभा राय, दीपा अग्रवाल, ममंग दई, अनामिका, राणी सदाशिव मूर्ति, प्रदीप कुमार पंडा, अरविंदो उज़िर ने की। राष्ट्रीय संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः बल्देव भाई शर्मा, उदयनारायण सिंह, सितांशु यशश्चंद्र एवं अरुण कमल ने की।
साहित्य अकादमी इतिहास के इस सबसे बड़े साहित्योत्सव में 400 से ज्यादा रचनाकारों ने 40 से अधिक विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया।
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