साहित्य मंच में गूंजी स्त्री जीवन की कहानियाँ, कथाकारों ने उकेरे स्त्री जीवन के विविध रंग
"साहित्य मंच" में उभरी स्त्री जीवन की विविध परछाइयाँ: साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में तीन कथाकारों की प्रस्तुतियाँ

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नई दिल्ली, 25 जून 2025 —
साहित्य अकादेमी द्वारा आज राजधानी में आयोजित विशेष कार्यक्रम “साहित्य मंच” में समकालीन हिंदी कथा-साहित्य की तीन प्रमुख हस्तियों ने अपनी कहानियों के माध्यम से स्त्री जीवन की जटिलताओं, संघर्षों और भावनात्मक गहराइयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में देशभर से आए साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति ने माहौल को जीवंत बना दिया।
योगिता यादव की कहानी ‘गंध’: प्रेम, अवसाद और स्त्री मन
कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध लेखिका योगिता यादव की कहानी ‘गंध’ से हुई। यह कहानी मुख्यतः सारिका और अभिनव की प्रेम कथा पर केंद्रित थी। अभिनव, जो एक मिग-21 पायलट है, की दुर्घटना के बाद सारिका का जीवन अवसाद की गहराइयों में डूब जाता है। इस मनोवैज्ञानिक स्थिति को लेखिका ने अत्यंत संवेदनशीलता और बारीकी से उकेरा है। कहानी के माध्यम से उन्होंने स्त्रियों के मानसिक स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषय को सामाजिक सरोकार के रूप में प्रस्तुत किया। कथा में स्त्री-मन की गंध, उसका अकेलापन, उसकी जिजीविषा और समाज से संवाद सभी कुछ मौन रहकर भी बहुत कुछ कह जाते हैं।
हरियश राय की ‘अंतिम पड़ाव’: वृंदावन की विधवाओं की पीड़ा
दूसरी प्रस्तुति में वरिष्ठ लेखक हरियश राय ने अपनी कहानी ‘अंतिम पड़ाव’ सुनाई। यह कहानी वृंदावन की विधवा स्त्रियों के जीवन की त्रासदी को केंद्र में रखती है। ‘सोना घोष’ नामक पात्र के माध्यम से लेखक ने यह दिखाया कि किस प्रकार समाज की उपेक्षा और धार्मिक आस्था के नाम पर स्त्रियों को जीवनभर पीड़ा झेलनी पड़ती है। कथा ने संवेदना और प्रश्न दोनों को साथ-साथ रखा और श्रोताओं को अंतर्मन से झकझोर दिया।
हरिसुमन बिष्ट की ‘अदृश्य पंखों पर उड़ान’: पहाड़ की स्त्री चेतना की कथा
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति हरिसुमन बिष्ट की कहानी ‘अदृश्य पंखों पर उड़ान’ थी। यह कथा एक दादी और उसकी पोती के संवादों के सहारे उत्तराखंड के पहाड़ी समाज में स्त्रियों की स्थिति को उजागर करती है। कहानी में पहाड़ की स्त्रियों की संघर्षशीलता, उनकी आत्मशक्ति और पीढ़ियों के बीच संबंधों की गहराई को खूबसूरती से दिखाया गया। यह कथा जीवन के छोटे-छोटे अनुभवों को गहराई से जोड़ती है और बताती है कि कैसे अदृश्य पंखों से भी उड़ान संभव है।
स्त्री जीवन बना केंद्रीय विषय
कार्यक्रम में प्रस्तुत तीनों कहानियों की खास बात यह रही कि उनमें स्त्रियाँ केंद्र में थीं — चाहे वह मानसिक स्वास्थ्य की बात हो, विधवा जीवन की पीड़ा हो या फिर पहाड़ों में जी रही नारी की चुनौतियाँ। तीनों लेखकों ने अपने दृष्टिकोण से स्त्री जीवन की विविध छवियों को रेखांकित किया, जिसने साहित्य मंच को एक गहरी वैचारिक परत प्रदान की।
साहित्य जगत की बड़ी हस्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में जानकी प्रसाद शर्मा, राजकुमार गौतम, प्रज्ञा, हीरालाल नागर, पवन कुमार माथुर, द्वारिका प्रसाद चारुमित्र, अशोक मिश्र, वंदना यादव, प्रताप सिंह समेत अनेक साहित्यकारों, आलोचकों और पाठकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन अत्यंत गरिमामय और विचारोत्तेजक रहा, जिसने सभी उपस्थितों को हिंदी साहित्य की शक्ति का पुनः अनुभव कराया।


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